SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११८ ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात मुंहडै देरावर छै । तरै इणां गढ ऊभो मेलनै विकूपुर उरा आया, .. नोख-सेवड़े वसिया । देरावररो गढ खाली पड़ियो थो, तरै रावळ लूणकरण वसियो। तठा पछै गढ जेसळमेर वासै पड़ियो । गाडण पसायत विखा मांहै सिंधनूं जावतो थो दुकाळ मांहै । बारहट खींदै कहिन रखायो । इतरो देनै राखियो । साखरो कवित दुय गिरि चंदण अढार, वरै जळवंब मोताहळ' । सेर एक सोवन्न , पंच रूपक झाळाहळ ।। बारह जूथ नर-महिष, चादर खट चीरह । च्यार तुरी' चत्र ऊंठ, एकसो गाय सखीरह14 ।। भाटियां राय हुवसी भुवण, लाभ ध्रम्म सोभाग तुव । वैरसल हाथ मांडावियौ, चायइ एतै चाचगां सुव ।। १ दूहो खींदै समो न वारहट, वेरड़ समो न राय । जातै जुग जासी नहीं, दूहो चवै पसाय' ।। १ वेटारी साखरो हो सेखो राव तिलोकसी, जोगाइत जगमल्ल । ...... वैरागररा दीकरा, एक-एक हूं भल्ल' ।। १ ___ I सारे सिंधके द्वार पर देरावर बसा हुया है। 2 तव ये गढ़ छोड़ कर के विकूपुर या गये और नोख-सेवड़े में बस गये। 3 जिसके बाद गढ़ जैसलमेरके अधिकार में पाया। ... * दुप्कालजन्य संकटके कारण गाडरा पसायत सिधको जा रहा था। 5 इतना देकर .. मेला। 6 साक्षीका कवित्त। 7 मोती। 8 मुवर्ण। 9 पांच सेर चमकती हुई : चांदी। 10 बारह जोड़ी भैले ! 11 छहों प्रकारके चादर ग्रादि वस्त्र। 12 चार बोड़े। ... 13 चार ऊंट। 14 एकलो दूध देती हुई गायें। 15 भाटी राव दरसलने चारण पुत्रको (टनीदेको) उसकी इच्छानुसार दान दिया। कवि कहता है कि है भाटी राव ! तेरा . मंगामें गौमाग्य यडेगा और तुझे धर्मशालान होगा। 16 गाढरण पसायत कहता है कि .. बाद समान को बारहठ नहीं है और देरसलके समान कोई राजा नहीं है। उसकी कीर्ति । युगों राज नहीं मिटेगी। 17 वरसल बेटे एक-एक्से भले हैं।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy