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________________ ६२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात बेटी खींवसर थी । सु पातसाह खींवसर कनै आयो, तरै इण दूदारी बैर कह्यो'–“दूदारो माथो ग्रांण दे तो हूं बळू" । " तरै हूंफो सांदू पातसाह कनै जाय माथो मांगियो ; तरै पातसाह कह्यो - " तीन मास हुवा, माथारी किसी खबर ?" तरै हंफैं कह्यो - "हू माथो श्रोळखूं छू, दूदारो माथो हूँ मुंहडै बोलाईस, मोनूं दिखावो ।” तरै माथो दिखायो । तरै दूदारो माथो हसियो, बोलियो । 6 तिणरी साखरो गीत हंफा सांदूरो कह्यो' - गीत क्रम केत स्वरग कज नह भारथ कज', दूठ दूदड़े दळचा दुजोरा । 11 पह'' तिण12 भवणै- त्रिण 13 पेखियो 14, .15 16 धड़ पाखै नाचतो धोण " ॥ १ वांछतां वरमाळ वेगड़ा, वकता सुणै दूदै वसियो । जेसळगिरा" तिको दिन जांग, हाथां ताळी दे हसियो ॥ २ हूं हूंफड़ा मरण किम हारूं, धर सांमी लीजंती धर । 9 20 मेलूं मूंछ " मीर पण मांन, 21 कमळ" " कहै जो हुवै कर ॥३ कर विण मूंछ भ्रू हसौं सुजकर, अब पियो अंजसियो " गढां गिळेवा आदम गोरी, 22 हड़ हड़ हड़ दूदो हसियौ ॥४ I तव इस दूदाकी स्त्रीने कहा । 2 दूदाका सिर मुझे लाकर दिया जाय तो मैं उसके साथ जल कर सती हो जाऊं । 3 सिरका क्या पता ? 4 मैं सिरको पहचानता हूँ 15 दूदेके सिरको मैं मुंहसे वुलवाऊंगा, वह मुझे दिखाया जाय । 6 जिसकी साक्षीका चारण हूं फा सांदूका कहा हुआ गीत (छंद) 1 7 लिए 1 8 जबरदस्त । 9 नाश किया 1 10 शत्रु । II स्वामी 1 12 जिसने । 13 तीनों भुवनोंमें 1 14 देखा । 15 पार्श्व में पासमें । 16 सिर । 17 जेसलमेरका निवासी, जेसलमेरका स्वामी । 18 मैं 1 19 मूंछों पर हाथ रखूं। 20 प्रतिज्ञा 1 21 सिर 1 22 अपूर्व भांतिसे शोभित और गर्वित हुत्रा ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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