SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात नहीं' ।' युं कहिनै रह्यो । ताहरां हेरै जायने कह्यो अरड़कमल नूं'सादो मोहिले परणीजणनूं प्रायो छे ।' तर ढाढी कहै * - नागांणाचो विणिये तुंणिये " अरड़कमल श्रो चंदा सुरियै । हेरू मंझि थये परणायो , सादा ! ग्ररड़कमलजी ग्रायो ॥ . ताहरां अरड़कमलजी साथ करने चढियो । नागोरसूं चढियो । ताहरां वडोकरो सुगन हुवो" । सु ताहरां मेहराज सांखलो साथ हुतो सु तिणनूं अरड़कमलजी पूछियो' - 'सुगनरो फळ कहो ।' ताहरां मेहराज कहै - 'प्रांपैकाळे गोहिलरै घरै हालो' । ज्यं जाइ र जीमण कराड़ां । श्रर जाहरां कुंवरजी ! जीमणनूं बुलावै ताहरां काळैनूं भेळो बैसाणज्यो' । पेहलां कवो थे मतां भरज्यो" । काळैनूं भरणदेज्यो" । जाहरां काळ कवो भरै, ताहां पूछज्यो- 'जु, एक सुगन म्हांनूं इसोसोक हुवो, तेरो विचार काळाजी कहो" ।' 8 13 4 ताहरां जायनै काळेरै उतरिया 3 | काळे भगतरी तैयारी की " | ज्युं प्रारोगण बैठा, ताहरां काळनूं भेळो बैसांणियो" । काळ कवी भरियो," ताहरां श्ररड़कमल पूछियो, "काळोजी ! म्हे तो ] तब सादूल कहता है कि मैं यहां त्याग (नेग र दानं ) दे देनेके बाद सबके साथ ही रवाना होऊंगा । अकेला नहीं जाऊँगा । 2 तव भेदियोंने जाकर अरड़कमलको कहा कि सादूल मोहिलोंके यहां शादी करनेको प्राया हुआ है । 3 / 4 तब ढाढी कहता है - "हे सादूल ! नागोरके भेदियोंके द्वारा तेरे विवाहका सब भेद ग्ररडंकमलने सुन लिया है । तेरा विवाह उन हेरुनोंकी उपस्थिति में ही हुआ है अतः अरड़कमल तेरे ऊपर चढ़ कर आया ही समझो ।” 5 तब अच्छा शकुन हुग्रा । 6 मेहराज सांखला साथमें था, उसको रकमलजीने पूछा । 7 अपन पहले काला गोहिलके यहां चलें । 8 वहां जाकर भोजन की तैयारी करवायें | 9 और जव कुंवरजी ! आपको भोजन करनेको बुलाने ग्रावे तव कालेको साथ बिठा कर भोजन करना । 10 / 11 पहला कौर ग्राप नहीं लेना, कालेको लेने देना । 12 जब काला कौर भरने लगे तब पूछना कि हमको एक ऐसा शकुन हुआ है, उसका फलाफल कालाजी हमें बताओ । 13 तब जाकर कालेके यहां ठहरे । 14 कालेने भोजन की तैयारी. को । IS जब भोजन करनेको वैठे तो कालेको सामिल विठाया । 16 कालेने ज्योंही कोर भरा ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy