________________
२७४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात लाखोजी पधारिया। तळेरा' महल रूपैरा अर सोनेरा कांगरा, तियां घरां जायनै राखइत अवतार लियो । एक दिन लाखोजी ऊपरलै घरां... झरोखै बैठा हुता'; अर राख़ाइत ऊँचो जोयो। देखै तो लाखोजी बैठा छै । देख अर वेदल हुओ । तरै लाखोजी बोलिया-'भाणेज ! वेदल क्युं हुवो ?' कह्यो-'मांमाजी ! ईंयां घणो ही दोड़ियो, पण आया नहीं। लाखोजी बोलिया-'भाणेज ! दोड़ियां आवै छ ?'
दूहो लिखियौ लाभ लोय, पर-लिखियौ लाभ नहीं।..
पर सिर पदम हि जोय, जे विह विहवै अप्पियो ॥१ हिवै राव सिहैजीनूं चावड़ां परणाया, घणो संतोष कर । अर राव सिहोजी कनवजनूं चालिया। साथ चावड़ीरो चकडोळ लेने चालिया। चावड़ीरी चाकर गोलियां साथै लेइ सुखै-समाधै कनवज पधारिया । भली भांत कनवज मांहै राज करै छै। ..
एक दिनरो समाजोग छै'। रातरै विखै पोढिया छै । तरै राणी . चावड़ी सुहणो लाधो'-'जु नाहर ३ पाया छै° | रांणी जाणै छ, मांहरो पेट फाड़, प्रांतरा काढ, नाहर प्रांतरा ले ले अर पहाड़े गया। छ। अळगा-अळगा अांतरा लिया जाय छै।' इसो रांणी चावड़ी सुहणो लाधो । तद रांणी जागी। जागनै रावजीनूं कह्यो-'महाराज ! ..... म्हैं इसो सुपनो पायो।' कह्यो-'कातूं दीठो ?'13 कह्यो-'जांणूं छू . म्हारो पेट फाड़ नाहर प्रांतरा परवतै ले ले जाय छै । इसो म्हैं सुहणो
___ I नीचेके । 2 लाखा गोख में बैठा था। 3 खिन्न चित्त हुना। 4 लोकमें (भाग्यमें) लिखा हुग्रा मिलता है, दूसरेके भाग्यमें लिखा नहीं मिलता। दूसरेके सिर परकी लक्ष्मीको देख कर लोभ मत करो । जो विधाताने वैभव दिया है उसमें संतोष करो। 5 अब चावड़ोंने अत्यन्त संतोपके साथ सीहाजीको अपनी कन्या व्याह दी। 6 सीहाजी चावड़ीका डोला साथमें ले कर कन्नोजको चले, दास और दासियोंके साथ सुख-शान्तिसे कन्नौजको पधार गये। 7 एक. दिनकी घटना है। 8 रातमें सोये हुए हैं। 9 तव चावड़ी रानीको एक स्वप्न दिखा। 10 तीन सिंह पाये हैं। II रानी जानती है कि उसका पेट चीर कर सिंह अंतड़ियां ले ले पार पहाड़ पर गये हैं। 12 अलग-अलग। 13 क्या देखा?
.
..