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________________ २३० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात हुवै । सु करहीरो फूल आवतो दीठो' । तरै फूल दूहो कह्यो- .. ___ "कच्छ करहीरै छंडियो कू देसड़ो कुसत्त ।" तरै प्राधो दूहो करहीरो कहै___“लाखो फूल-महेळियां, खिण देवर खिण पुत्त ।।" आ वात धण कहाड़ी । तरै फूल कह्यो-"तो लाखावू देस. माहितूं परो काढीजो।" रजपूतांनूं कह्यो-“लाखानूं देसोटो दियो । छै । देस मांहिथा परो काढीजो' ।" तरै लाखै कह्यो-"म्हारो बाप चोथी अवसथा छै । मोनूं परो काढो छो। पण जिको ही फूलरी वात श्रा कहै-'मुंवो', तिणरी जीभ वढाऊं । यु कहिनै लाखो वळ खेरडी मांमारै गांव दिसी गयो । कितराएक दिन रह्यो। बांस फूल मूवो। वा रांणी धण वांस बळी11 । ___ लाखो उठे, सु लाखान आ वात कोई कहै नहीं। बांस धरती सूंनी । लाखो मामा ₹ । सु लाखो कहै-"किणही कह्यो फूल मुंदो तो उणरी जीभ वढाऊं।" तरै बीहतो कोई कहै नहीं । तरै देसरा .. सिगळा14 कामदार महाजन, सिगळे भेळा हुयनै कह्यो "लाखो आवै नहीं। धरती सूनी। कोइक उपाव करो ज्यु लाखो प्रावै ।" : तरै कह्यो-"जीभ वढावण कुण जावै ? तर सगळे भेळा हुयनै । कह्यो--"डाही डूंमणीनूं मेलो। आ जाय कहसी ।" तरै डाहोनूं ___I सो ऊंटनी सवार करहीरोको फूलने आते हुए देखा। 2 (उष्ट्रारोही) करहीरो कच्छ देशको क्यों छोड़ कर आ रहा है ? कोई असतं कार्य हो गया दिखता है। 3 हे फूल ! तेरा पुत्र लाखा तेरी पत्नीके साथ उच्छं खल देवर की भांति छेड़-छाड़ करता है। 4 यह बात तेरी रानी धरणनै कहलवाई है। 5 राजपूतोंको कहा-हमने लाखाको देश-निकाला दे दिया है। ... 6 अत: इसको देश मेंसे निकाल देना । 7 मेरा बाप चतुर्थावस्था (वृद्धावस्था) प्राप्त है। 8 परंतु जो भी फूलके संबंधमें यह बात कहे कि वह मर गया तो मैं उसकी जीभ कटवा. दूंगा। 9 यों कह कर के लाखा पुनः अपने मामाके गांव खेरड़ीकी ओर चला गया। 10 पीछे फूल मर गया। II वह रानी धरण उसके पीछे सती हुई। 12 दिना राजाके, ....... पोछे देश सूना। 13 तब डरता हुआ कोई पह बात कहे नहीं। 14 समस्त 1. 15 समस्त . . लोगोंने इक? हो कर कहा । 16 तब कहा-जीभ कटानेको कौन जाय ? 17 डाही नामकी ढाढिनको भेज दो, वह जाकर के कह देगी। .. .. .... ......
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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