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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २२६ लाखो मोटो वरसां ८ तथा १० रो हुवो, तरै प्रापरी मांनै कह्यो'-"आपां कुण छां ? माहरो वाप कुण ?" तरै लाखैरी मां कह्यो-"थे इण धरतीरा धणी, तू फूलरो बेटो।" तरै इण कह्यो"तो प्रांपै अठ क्युं ? उठ हालां नहीं ?" तरै इण वांसली वात सोह मांडने कह्यो-"इण भांत अठ फूल आयो थो; इण भांत मोनूं परणाई; यूं धूं बेटो हुनो।" तरै लाखै कह्यो-"हूं फूल तीरै जाऊ छ । मोनूं सहनर्माण दे ।" तरै वो लिखत नै फूलरै हाथरी मूंदड़ी दी। लाखो अठाथो केलाकोट गयो। फूलसूं मिळियो। वे सहनांण दिखाया । फूल घणो उछाह कियो । घणो अादर कर माहै लियो। लाखो जिको अवतारीक मरद, नान्हो ही सारी साहबीरो मदार हुवो। फूलरै और वेटो कोई न थो । लाखा ऊपर हीज मुदो हुवो' । - सु कितरांएक दिनां फूल तो वांगै बलोचां दिसी थांण रहै नै लाखो घरे रहै । सु लाखो एकलो। जिको रूप-गुणरो निधान । तिण देखनै फूलरी बैर रांणी धण लाखानूं मांहै बुलायो नै कह्यो-"तूं या वात मोसूं कर ।" तरै लाखै कह्यो-"तूं तो म्हारी मा छै । मोसूं आ वात क्युं हुवै ?" तरै धण कह्यो-“तो हूं फूलनै लिखनै तो परो कढाईस" ।" तरै लाखै कह्यो-"जांण सु करो, पण मोसूं ना बात होण री नहीं।" ...... पछै फूलरी बैर धण कासीद करहीरानूं19 लिख दियो। सु .... रांणीरो कासीद जरै हीज पावै तरै! कोई जरूर हीज काम I तव अपनी माको कहा । 2 अपन कौन हैं । 3 मेरा बाप कौन ? 4 तव इसने कहा--अपन यहां क्यों ? वहां क्यों नहीं चलें। 5 पिछली। 6 सब । 7 मैं फूलके पास जाता हूँ। 8 यहांसे । 9 लाखा अवतारी पुरुष । छोटी आयु में ही सारी साहिबी (राज्य)का अधिकारी हुआ । 10 लाखां पर ही राज्यका आधार रहा। II कितनेक दिनोंसे । 12 ओर। 13 जिसको। 14 पत्नी। 15 तू मेरे साथ रति-क्रीड़ा कर। 16 मेरेसे यह बात कैसे बन सकती है। 17 तो मैं फूलको पत्र लिख कर तेरेको देश-निकाला करवा दूंगी। 18 जो चाहे सो करो, परंतु मेरेसे यह बात नहीं होने की। 19 (१) ऊंटनीसवार । संदेशवाहक ऊंटनी-सवार (२) एक व्यक्तिका नाम । 20 जंब । 21 तव ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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