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________________ मुंहता नैणसीरो ख्यात 2 [ ३१५ हालो' ।' ताहरां पूनो कहै - 'हूं घिरूं नहीं । ओ अवसर कठै लहूं" ?' ताहरां काळे अर ऊदै कह्यो - ' हे अपूठा पूनै साथै जास्यां ।' ताहरां सिखरो बोलियो - 'थे जावो नां । हूं एक दूहो मोनूंई कहीस * । ताहरां हो है 4 छक्कड़ लेह सिरांवणी, फदियो ऊग विहांण । ऊगमणावत कूदियो, चढ चंगे केकांण ॥ १ 5 इण प्रस्ताव पूनो तो रावजी कनै गयो । उठे रावजी नागोररो कोट छोडने बाहिर आया । भाटियांरी फोज नाई । ताहरां रावजी सांम्हां जायन लड़िया । रावजी कांम आया' । सात आदमियांसूं कांम प्राया । ताहरां भाटिये रावजीरो माथो वाढिवांसमें प्रोयो', नै वांस रोपियो । रोपि नै माथो ऊंचो राखियो । प्राय सांम्हां न जुहार कियो ! " । मुंहड़े कहियो - 'चूंडाजी जुहार ।' इसी मसकरी कीवी, ताहरां केलण प्राप वडो सवणी हुतो । सु केलण बोलियो'ठाकुरां सुणो, आज पर्छ भाटी राठोड़ांरा चाकर हुसो । सिलांमी हुसी' 2 13 ताहरां आगै लोक सरब एकठा हुवा छै । वसी गाडा एकठा कर रिणमलजी ढूंढाड़नूं ले हालिया " । रजपूत सारा सुमना किया" जेठी घोड़ो सिखरैन दियो । 1 18 ताहरां भाटी केलण सारी फोज लेने वांसो कियो" ताहरां एक I तुम लौटो और वापिस चलो । 2 यह अवसर कहाँ पाऊं ? 3 हम तो लौट कर नाके साथ जायेंगे । 4 तुम जाओ नहीं। मैं एक दोहा मेरे खुदके संबंध में भी कह दूंगा । 5. दोहार्थ - 'जो प्रभात होते ही तत्काल एक छकड़ा भर कलेवा कर लेता है और नित्य एक फदिया ले लेता है, वह सिखरा उगमरगावत अच्छे घोड़े पर सवार हो कर फांद गया ।' 6. इस बात पर पूना तो रावजीके पास चला गया । 7 रावजी (चूंडाजी) काम आ गये । 8 सात आदमियोंके साथ काम प्राये । 9 तब भाटी राजपूतोंने राव चूंडाजीके सिरको काट और बाँसको जमीन में गोड़ ( कर के एक वांसमें पिरो दिया । 10 कर खड़ा किया । II बांसको खड़ा कर के उसके सिरे पर चूंडेजीका ) मस्तक रखा । 12 सामने था कर जुहार किया । 13 ऐसी मसखरी की । 14 उस समय केलण जो बड़ा शकुनी था । 15 ठाकुरो ! सुनो, आजके बाद भाटी क्षत्री राठौड़ों के चाकर होंगे (और भाटियों की श्रोरसे राठौड़ों को सलामी होगी । 16 रणमलजी गाड़े इकट्ठ े कर के अपनी वसीको ढूंढाडको ले चले। 17. सभी राजपूतों को प्रसन्न किया । 18 पीछा किया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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