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मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ११५ गयो, तरै रांणंगदेरी बैर कह्यो-"धारेचारो सासतर करो।" तरै राव केल्हण कह्यो-"अाज तो रावाईरा सासतररो मोहरत छै", सवारै बीजो सासतर करस्यां ।" सु पैहलै दिन बाजोट मांडनै रावाईरो टीको कढायो, सासतर कियो । सको राजी हाथरै, जीभरै पांण किया । पछै दिन २ आडा घातन' राव केल्हण वागो पहरनै राव रांणंगदेरी दोढी ऊभै रहनै माहै जुहार रांणंगदेरी वहूनूं कहाड़ियो । तरै रांणंगदेरी रांणी कहाड़ियो-'थांहरो म्हांसू कोल कासूं छै ? नै हमै थे कोल पाळो न छो' ?" तरै केल्हण कहाड़ियो-"इसड़ी वात कदै न हुई, सु क्यु कीजै ? सवारै संसार माहै सगा-सोई सको हसै । पछै. कोई प्रांपांसू सनमंध करै नहीं, नै रावरै बेटो को न छै । राव रांणंगदेरो वैर हूं लेईस।" तरै रांणी पण दीठो, वात मांहै सवाद को नहीं । तरै रांणी कह्यो-"भली वात; म्हारे वैर वाळणतूं हीज काम हुतो ।" इण विध राव केल्हण पूगळ धणी हुवो। पर्छ रावळ केल्हण मुलतांन जायनै सलेमखाननूं नागोर ऊपर ले आयो । राव चूंडानं मारियो। राव केल्हण घणूं तपियो । इतरा कोट खाटिया -
साखरो दुहो17 पूगळ वीकूपुर पुणवि, मूंमणवाह मरोट ।
देरावर नै केहरोर, केल्हण इतरा कोट18 ॥ १ I तब राणंगदेकी स्त्रीने कहा कि पुनर्विवाहकी रीति करो। 2 आज तो रावाईकी (ग़वकी पदवीकी) रस्म कर लेनेका मुहूर्त है। 3 कल दूसरी रस्म भी कर लेंगे। 4. पाटा, पट्टा। 5 रस्म अदा की। 6 धन और मिष्ट-भाषण (मिष्ठान्न) से सवको राजी किया। 7 फिर दो दिनका बीच देकर। 8 राव केल्हण बागा पहिन करके राव राणंगदेकी ड्योढी पर खड़े रह कर राणंगदेकी स्त्रीको भीतर जुहार कहलवाया। 9 तुम्हारा मेरेसे. क्या कौल है ? और अव तुम उस कोलका पालन नहीं कर रहे हो। 10 ऐसी बात कभी हुई नहीं, उसे क्यों करना चाहिये ? II कल संसारमें अपने सगे-संबंधी सभी हँसेंगे। 12 राव राणंगदेके वैरका वदला मैं लंगा। 13 तब राणीने भी देखा कि अब इस बात में कोई मजा नहीं। 14 मेरे तो वैरका बदला लेनेसे ही काम था। 15 राव केल्हणने वहुत वर्षों तक राज्य किया। 16 इतने गढ़ प्राप्त किये। 17 जिसकी साक्षीका दोहा। 18 केल्हणके पास इतने कोट थे-१. पूगल, २. विकूपुर, ३. मूमणवाह, ४. मारोठ, ५ देरावर और ६. केहरोर।