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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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भेळो करो' ।' श्रा वात जसारै पण दाय आई ।
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झालो रायसिंघ पछै रिणछोड़जी रे दरसण गयो । कटारो ठाकरांरी कमर मांहीसूं छिटक पड़ियो, सु रायसिंघ लियो । रुपिया १५०० ) रो, इण रुपिया २०००) हजार दिया | दरसण कर पाछा खड़िया * ।
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अठै जसो आापरा देसरा साथसूं चढिया - पाळा' प्रादमी हजार सात ७००० भेळा किया । झालो रायसिंघ श्री रिणछोड़जीरी जात कर वळतो' नवैनगर रावळ जांम कनै ग्रायो, मिळियो । रावळ जांम घणो आदर भाव कियो । महमांनी कर सीख दी। मांणस २ रूड़ा मेलन रायसिंघनूं कहाड़ियो' - 'थे नै जसै बेई वाद कियो छै" । थे स्यांणा छो, जसो मोटियार छै" । थे नीसरता धोळहरथा कोस ४ अळगा नीसरजो" ।' ग्रा वात जाइ ग्रादमियां रायसिंघनूं कही । तरै रायसिंघ को - 'वा वात तो नीवड़ी " । घणां मांणसां सुणी ' ' ।' तरै उणे श्रादमिये जांमजीनूं कह्यो । तरै जाम ही तमकियो " । कह्यो, थे जाय कहो - 'जसो म्हारो भत्रीज छै । जो धूं धोळहर जाईस, तो म्हारा रजपूत ४ हुसी सु जसा भेळा हुसी " ।' तरै उणे रायसिंघनूं कह्यो - 'जुजांम यूं कहै छै ।' तर रायसिंघ कह्यो - 'ग्रा वात तो हूं जांणूं छू, पण कासूं करू ? पहली बात कही " । हिमैं जांम ग्राप धोळहर पधारै तो हूं टळू नहीं''।'
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यूं कहिन रायसिंघ घोळहर नजीक प्रायो । नगारो दियो" |
I जितने में तुम भी अपने देशकी सेनाको इकट्ठी करलो । जंच गई । 3 ठाकुर श्री रणछोड़रायकी कमर में से एक कटार नीचे कर के पीछे रवाना हुए। 5 सवार और पैदल । 6 इकट्ठे किये।
" लौटता हुआ ।
8 प्रातिथ्य कर के विदाई दी। 9 दो भले आदमियों को भेज कर के रायसिंहको कहलवाया । 10 तुम श्रौर जसा, दोनोंने एक विवाद खड़ा कर लिया है । II तुम समझदार हो श्रौर जसा जवान है । 12 तुम लौटते हुए धलवहरसे चार कोस दूर हो कर के निकलना । 13 वह बात तो खत्म हुई ( वह बात तो पक्की हो गई ) । 14 बहुतसे मनुष्योंने सुन ली है । IS तब जाम भी क्रोधित हुआ । 16 मेरे चार राजपूत होंगे सो जसाकी सहायता में होंगे । 17 परन्तु अब मैं क्या करू ? जब कि पहले बात कर चुका हूँ । 18 अब तो जाम स्वयं धवलहर पधार जायें तो भी टलनेका नहीं। 19 नगाड़ा बजवाया ।
2 यह बात जसाके भी
गिर पड़ा । 4
दर्शन