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________________ २४८ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात 4 धोळहर डेरो कियो । जसानूं ग्रादमी मेलन कहाड़ियो' - 'हूं ग्रायो छू । राज तयार हुय रहीजै । ग्रां परभातरा वेढ करस्या' ।' जसो पण ग्रापरा साथसूं तयार हुवो छै । वीजो दिन हुवो तद रायसिंघ ग्रापरा साथसूं चढ आयो । जसो पण ग्रापरा साथसूं चढ ग्रायो । गांवरा मुंहडा आगे तळाव छे, तिरै पार्छ मैदान छै । तठे वेऊ कांनीरो साथ प्राय चढियो छ । ग्रणी मिळिया छे । वेढ भली भांतसूं हुवै छै । वेऊं कांनीरो साथ पागड़ा छाडिया पाळो थको विढे छै' । तिण मांहै जसो असवार २०० सूं प्रापर साथ मांहै चढ़ियो ऊभो तमासो जोवै छै । तरै रायसिंघ दीठो ' - 'जु म्हारो साथ थोड़ो नै जसारो साथ घणो, जु काइ घात करूं ।' 0 रायसंघ ग्रादमी मेलनै - " जसारी खबर कराई - 'जु कठै छँ, किसी आणी मांहै छै ' ' ?' सु प्रादमी खबर ले पाछो ग्रायो | कह्यो - 'पैली कां सांन (छान) साथ चढियो ऊभो छै, तठे छै ।' 11 तरै रायसिंघ आपरा साथ मांहै भलो रजपूत, भलो घोड़ो थो त्यां मांहै टाळनै असवार ४०० लेन जसो ऊभो यो त जसा ऊपर तूट पड़ियो । जसो निपट ससवो वो " । जसारो साथ भागो । जसा रायसिंघरो घणो साथ कांम प्रायो । खेत रायसिंघरै हाथ आयो । 2 पछे गांव हल्लो कियो । तरं रावसिंघरी बहन जसारै घर हूंती सु ग्राडी फिरी । कह्यो - 'थे घणो ही कांम कियो, गांव मोनूं कांचळीरो बगसो ।' तर गांव मारियो नहीं" । नै प्रापरो साथ खेत पड़ियो थो, सु संभायने हळोद पाछा श्राया' 1 4 16 I जसाको आदमी भेज कर कहलवाया । 2 अपन कल प्रात: लड़ाई करेंगे । वहां पर दोनों घोरकी सेनाएँ चढ़ आई हैं । . 6 दोनोंकी 5 । 3 दूसरा । 4 मुंह, साम्हने । सेनाएं ग्रामने-साम्हने हो गई हैं 7 दोनों प्रोरकी सेनाएं अपने-अपने वाहनों को छोड़ कर पैदल युद्ध कर रही हैं । 8 तव रायसिंहने देखा । 9 इसलिये कोई आक्रमण करनेकी घात करूं । 10 भेज कर । II वह कहां और कौनसी अनी ( टुकड़ी) है. 12 जया बड़ी सरलतासे मार दिया गया । 13 रायसिंहको विजय हुई | 14 तुमने.. बहुत अच्छा काम किया, अव यह गांव तो मुझको कंचुली के रूपमें वख्शीश करदो । IS तब गांवको नहीं लूटा | 16 और अपने सैनिक जो युद्ध भूमिमें काम या गये थे, उनकी श्रन्त्येष्टि करके हलवद लौट आया ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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