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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात झालोरी गुजरातरै देस झालावाड़रा गांव १८०० कहीजै । मुदै तो गांव हळवद ही में छै । नै अ पाटरिया कहीजै । सु पाटरी हळोदथी कोस ८ छ । आगे तो इणांरो उतन पाटरी हुतो' । झालो महमंद सोळंकी मूळराज पाटणरा धणीरो चाकर थो। सु राठोड़ सीहै नै मूळ राज जाड़ेचे लाखैनै मारियो, तद कहै छै, लाखो जाड़ेचो हाथीरै ... होदै वेढ माहै बैठो थो । सु लाखायूँ झाले महमंद बरछी लगाई। तिण रीझरी मूळ राज महमंदनूं झालावाड़ गांव १८००सू दीवी । तद इतरा परगना लागता । झालावाड़ कहावै - ___गांव ७४७ वीरमगांव । निपट वडी ठोड' । रुपिया ३००००००) आज उपजै छै । दांम १०००००००), गांव ७४७ ।
२५२ गांव वीरमगांव वांस । २१६ वीरमगांव, दाम ६९८५७३५ । ३६ मूळ (मूळी) रा दांम ३८५६६८° ।
१६२ भोमियां नीचे जोर-तलब' । ११२ हळवद ।
____ I खास गांव तो हळवदके ताल्लुकेमें ही हैं। 2 पहले तो इनका निवास पाटड़ी में था। 3, 4 तब ऐसा कहा जाता है कि जब युद्ध हो रहा था तव लाखा जाड़ेची हाथीके होदेमें बैठा हुआ था। 5 उस साहसिक कार्य से प्रसन्न होकर मूलराज सोलंकीने झाला ... महमंदको १८०० गाँवोंका झालावाड़ प्रान्त इनायत कर दिया । 6 झालावाड़ कहे जाने वाले प्रान्तमें तब इतने परगने लगते थे। 7 वीरमगांव जिलेके ७४७ गांव हैं, यह बहुत .. उपजाऊ और बड़ा प्रदेश है। 8 अाज (ख्यात-लेखकके समयमें) इसकी उपज तीन लाख रुपये हैं और उन ७४७ गांवोंका कर एक करोड़ दाम हैं। दाम = दामका मूल्य देशकालानुसार ... न्यूनाधिक रहा है। राजस्थान और गुजरातमें एक पैसेमें २५ दाम, तदनुसार एक रुपयेमें १६०० दामोंके हिसाबसे फलावट करनेका प्रचलन अधिकतर रहा है। इस हिसाबसें (वीरम-.... गांव जिलेके ७४७ गांवोंका राजस्व) एक करोड़ दामोंके ६२५०) रुपये होते हैं। वीरमगांव जिलंकी उपज (उत्पादन) तीन लाख रुपये और उसके साथ एक करोड़ दामों (६२५० .... रुपयों का उल्लेख उपज पर उत्पादन-शुल्क या राजस्व ही होना संभव है। 9 (वीरमगांव जिले में) वीरमगांव परगनेके पीछे २५२ गांव, जिनमें उप-प्रान्त तरीके. ६१६ गांव वीरमगांवके, जिनका राजस्व दाम ६९८५७३५ (रु०. ४३६६।। १०) और शेप ३६ गांव मूळी उप-प्रान्तको जिनका राजस्व ३८५९६८ दाम (रु० २४१३।।१८) हैं। 10 १६२ गांव मोमिनारप्रधिकारमें है, जिनकी तलबी मस्त