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॥ श्री गणेशायनमः ।। अथ वात वीरमजीरी लिख्यते
वीरमजी महेवैरै पासै गूढ़ो' कर वसिया छ । सु जिकोई महेवै माहै खून कर वीरमजीरै गूढ़े आवै तियेनूं वीरमजी राखें । वांस कोई प्रावण पावै नहीं । ईयै भांत रहै ।
___ एकदा प्रस्ताव । जोईयो दलो गुजरात चाकरी गयो हुतो भाईयांसूं विढनै । उठे गुजरात घणा दिन रह्यो। अोथ वीमाह कियो, घणा दिन रह्यो । उठासू दलारी इच्छा ऊपनी, देस जाईजै । ताहरां उठाहूं चालियो । पावतो-आवतो महेवै प्राय नीसरियो। प्राय कुंभाररै घरै डेरो कियो छै । साथै लुगाई छ, कुंभारीनै कह्यो-'एक नाई ल्याव, जु म्हारी खिजमत करै । कुंभारी नाई बुलाय लाई।
नाई खिजमत कीधी। नाई घोड़ी दीठी' । द्रव्य कनारो दीठो । . . नाई जोयनै जगमालजी मालावत कह्यो-'एक कोई धाड़वी आयो
छै', कुंभारीरै उतरियो छ । उवैरै सखरी घोड़ी छै । राज ! एक बैर बोहत फूटरी छै, पदमणी छै ।' ताहरां आदमी मेलियो.। खबर कराई । कह्यो-'जावो खबर करो, कुण छ ?' ताहरां आदमी कुंभारीरै घरै आया, जासूस थका। देख अर गया । ताहरां कुंभारी बोली'ठकुराळा ! तो ऊपर चूक छै15।' कह्यो-'जो, कैरो' ?' कह्यो'बाबा ! तोनू मारसी", घोड़ी नै थारी बैर लेसी । कह्यो-'कुण ?
____ I रक्षा स्थान । 2 कोई भी व्यक्ति महेवेमें कोई अपराध (हत्या) करके आ जाये उसे वीरमजी अपने यहां रख लेते हैं। 3 उसके पीछे कोई नहीं आने पाता। 4 जोईया दला अपने भाइयोंसे लड़ कर गुजरातमें चाकरी करनेको चला गया था। 5 वहीं विवाह किया। 6 वहां दलाकी इच्छा हुई कि अब देशको जाना चाहिये। 7 तब वहांसे रवाना हा। 8 एक नाईकोः तुला ला जो मेरी हजामत बना ले । 9 नाईने दलाकी घोडीको देखा । 10 उसके पासका धन भी उसने देखा। II कोई एक लुटेरा आया है। 12 कुम्हारीके यहां ठहरा हुआ है । उसके पास वढ़िया घोड़ी है। 13 उसके साथ एक स्त्री बहुत सुंदर है, पद्मिनी ही है। 14 तव जासूस होकर कुम्हारीके घर पर प्रादमी आये। 15 हे ठाकुर ! तेरे पर : धोखा है। 16 किसका। 17 तुझको मारेंगे। 18 घोड़ी और तम्हारी स्त्रीको ले लेंगे।