SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * १३२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात जेसलमेर विकंपुररो सारो वांस दोड़ियो' | फळोवी पर कोसे १५ मुंडेळाई मांगळियांरो गांव, त राव खेती दुजणसलोत रहती थी. तठे जाय डेरो कियो', सु राव खेतसी साथ थाबतो दीठो तरं ढोल दिरायो । तर राव प्रथीराज अखैराज ही संभिया ", तितरै साथ उणां प्रागे-पाछै ग्रावतो गयो, त्यूं मै वेद करता गया"। राव सूरसिंघ, बलू कँवर कांम ग्राया' । नै भाटी द्वारकादास, भाटी दुरंगदास, भांग रुघनाथ सारो पोकरणरो साथ नीसरियो । राव सूरसिंघ, कंवर बल् आदमी २ हमीर, मुथरो, पतो आदमियांसूं कांम श्राया" । विकंपुररं धणियां ने राठोड़े सगाई, तथा बीजां"१ रा ।। चंद्रसेन राव डुंगरसीरी बेटी परणियो । ९ मोटो राजा राव दुजणसलरी बेटी हरखां परणियो" । ९ मोटो राजा भाटी जैमल कलावतरे परणियोः । १ मोटो राजा भाटी जगमाल खींवावतरं परयो । केल्हूणां ने बीकानेररा धणियां सगाई 1 4_ 13 १ राजा रायसिंघजी भाटी भांनीदासरी वेटी जसोदा परणियो: १ राव सूरजसिंघ राव श्रासकरणरी बेटी परणियो । १ राव सूर ( सिंघ ) भाटी तेजमाल किसनावतरी बेटी परणियो । १ राव करन भाटी सुदरसा मानसिंघोत सिरहड़ियांरी बेटी परणियो" । 6 I जैसलमेर और विकू पुरके सभी लोग एवं उनके सभी चाकर (गोले ) पीछे चढ कर आये । 2 फलोबीसे परे कोस १५ पर मांगलियोंका मूडेलाई गांव | 3 वहां जाकर उन्होंने डेरा डाला | 4 तब राव खेतसीने साथको आते देखा तो ढोल बजवा दिया। 5 तव राव पृथ्वीराज और अखैराज भी तैयार हो गये । 6 आगे पीछे ज्यों-ज्यों इनका साथ आता गया त्यों-त्यों ये लड़ाई करते गये। 7 राव सूरसिंह और कुँवर बलू काम आये । 8 निकल भागा । 9 हमीर, मथुरा और पता इन प्रादमियोंके साथ राव सूरसिंह और कुवर बलू ये दोनों काम आये । 10 विकू पुरके स्वामियोंका राठोड़ों और दूसरोंके संबंधों का विवरण । II मोटा राजाका राव दुर्जनसालकी वेटी हरखांसे विवाह हुआ था । 12 मोटा राजा भांटी. जयमल कलावतके यहां व्याहा । 13 मोटा राजा भाटी जगमाल खींवावतके यहां व्याहा । 14 केल्हरण - भाटियों और वीकानेरके स्वामियोंके संबंधों का विवरण । IS राजा रायसिंहजी भाटी भानीदासको वेटी यशोदासे व्याह । 16 राव करन सिरहाड़िया भाटी सुदर्शन मानसिंहोत की वेटीसे व्याहा |
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy