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________________ २३८ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात वात १ जांम उनड़ सांवलसुधरी जांग ऊनड़ सांवळसुध कविनूं ग्राऊठकोड़-सांमई दी दान तरै आपरा गाडा समंदर बींट कराड़ां लेजाय छोड़िया । चापरी ठाकुराई उठै की' । गांव ५०० सो उठे प्रापरै दाखल किया। ऊंनड़री वडी साहबी, सु उतरा मां श्रमावी हुई । सु विचै थोड़ो सो पांणी थो नै नैड़ा हीज गांव ३०० हुरमझ दाखलै' रा था, सु वां जांणियो प्रो नैड़ो आयो सु म्हांनूं मारने धरती ल्यै, माल पण ल्यै । ऊनड़ परण जांणियो थोप्रांनूं' मारूं । वेता पहला अति भयसूं हीज माल-वित नावां घालने हुरमझ गया । गांव ऊंनड़ ग्रापरा किया | ने गांव ७०० कुडळै-गुलाईरा परगना समंद्र वार सूमरांरा धकायनै लिया । वडी ठाकुराई सिधसूं नजीक भुज दिसीसूं जायनै । जिहाज दिन ३ तथा ४ नूं जाय । पछै महड़ (ऊनड़) कनै सूं राव खंगार हमीरोत कुंड नैं गुलाईरा परगना चाप लिया भुज वांसें 1 12 1 पछै अकबर पातसाह जांमनूं तुरक कियो । हमैं तुरक छै" । वडा दातार छै । चारण आयेरी खबर दे तिणनूं ५ महमूंदी दीजै - 3 | अंजै वडी सायबी छै''। मांणस हजार ८००० तथा ६०००री जोड़ छै । सिंधरा गांव नजीक छै । वासूं कर बधो दै छै । 14 वहां अपना राज्य स्थापित किया । 2 वहां ५०० गांव अपने अधिकार में कर लिये ! 3 उतने में संतोष नहीं हुआ । 4 निकट । 5 अधिकारके । 6 उन्होंने । 7 इनको । 8 ऊनड़ने उन गांवोंको अपने अधिकार में कर लिया । 9 और समुद्र के किनारे-किनारे सूमरोंको भगा कर अपने ७०० गांव सूमरोंके अधिकारके कुंडल - गुलाई परगनेके थे, अधिकारमें कर लिये । 10 भुजकी प्रोरसे लगा कर सिंधके निकट तक बड़ी ठकुराई. ( राज्य ) का स्वामी हुआ । II बादमें राव खंगार हमीरोतने कुंड और गुलाईके परगने भुजके अधिकार में कर लिये । 12 श्रव मुसलमान हैं। 13 किसी चारणके ग्राम जानेकी सूचना देने वाले को पांच महमूंदी इनाममें दी जाती है । 14 अभी तक बड़ी ठकुराई है ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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