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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३६ गीत पखालदरी वेढ राव खंगार नै रावल जाम हुई
तिणरो बारहट ईलर कहै परा नांख पड़िहार पिंड पवंग' छोड़े परा, परापुड़ ऊपड़ी वेढ प्राझी | राहिबै हरधवळ हरधवळ राहिबो,
मांझियै वाजिया प्राय मांझी ॥१॥ जिण दिन रावळ नवोनगर लियो, तद हरधवळ हाजारै हाथ रयो नै हाजो नीसरियो' जातो हुवो तिणनूं' जसै हरधवळरै बेटै वांस आपड़नै', हाजा बापरा मारणहार मारियो ।
। घोड़ा। 2 (१) अत्यधिक, (२) जवरदस्त । 3 लड़े। 4 प्रमुख । 5 तव ... हरधवल हाजाके हाथसे मारा गया। 6 निकल कर, निकलता हुआ। 7 जिसको।
8 पीछेसे। 9 पकड़ कर । 10 बापको मारने वाले हाजाको मार दिया।