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________________ : मुंहता नैणसीरी ख्यात [२३७ रो महापसाव' करनै आप गाडो जोतराय समंदरै बैट' कराई गयो। गीत ऊनड़रो कोड़ दीयण कीधो करणीगर', भल दातार कवीचे' भाग। आऊठ लाख तणो छत्र ऊनड़, तो विण किणही न दीधो त्याग ।। १ सो-लाखां' लगदान समपियो1, वांस घातै हतणां विण्यांण । तो जिम गहड़ तखत वड त्यागी, सुकवि किह न किया सुरतांण ॥ २ .... सवा कोड़ लग प्रागै सयणे, पात्र भणावै15 महापसाव । लोभाऊ दियो लाखावत, सिंध तणो छत्र सांमां-राव ।। ३ 1 महाप्रसाद, बहुत बड़ा दान। 2 जुतवा कर । 3 द्वीप। 4 किनारा। 5 किया, बनाया। 6 ईश्वरने। 7 के। 8 दान। 9 करोड़। 10 का, तक। II दिया, समर्पण किया। 12 अनेक प्रकारको सामग्रीके साथ। 13 वीर, महान्, गंभीर । .. I4. चारण। 15 यश-गान करवाया । :. 'कच्छ कलाधर' नामक कच्छके इतिहास ग्रन्थ में जनड़का यह गीत पदच्छेद, वैरणसगाई और भाषाकी अशुद्धियोंके साथ पूरा (पाठ झड़ोंमें) दिया हुआ है । परन्तु जाम ऊनड़के जिस महापसावकी घटना पर उसमें यह छंद दिया गया है, वह घटना सर्वथा अन्य प्रकारको है। घटना संक्षेपमें इस प्रकार है जाम ऊनड़के पाटवी पुत्र बालक सत्ताको हारस चारणका पुत्र, देवीको पाडाकी बलि देनेके खेल में मार देता है। हारस चारण इस भयके कारण नगरसमई छोड़ कर भाग जाता है। लेकिन जाम ऊनड़ उसके पीछे आदमी भेज कर आदरके साथ बुला लेता है और ढाई . . दिनके लिये उसे समस्त नवलखी सिंधका राजा बना देता है। स्वयं एक जलपात्रको लेकर महलोमें चला जाता है। उक्त गीत कच्छ कलाधर में इस प्रकार है. . . ., कोल वरस कीया करणीगर, भल दातार कवीचे भाग , .. ..ावठ कोड तणो छत्र ऊनड़, तो वण आपे कवरण तेयाग । सुघो दामोजी केरा ओसामा, मेल गानारां न सूझ माग , (सूधो दाव जिके राव सामा, मेळग नरां न सूझै माग) दान वडा दातारे दीधा, तखत किणे न कीधा तेाग । सा लखां लग दांन समपेनो, पोती वखाणां प्रथीसर पारण , (सो लाखां लग दांन समपियो, पात वखारण प्रथीसर पारण) तो जिम घोड़ तखत बेसाडे, सो कव कीणे न कीया सुरतारण । सिंध तणे में तखत वेसांडे, पात्रां भणाव्यो महा पसा , ........ : लोभीया तें दीनों लाखाउत, सिंध तणो छत्र साम सा। -दुलेराय भेल. काराणी : (पृ० ३७०) कच्छ कलाधर, प्रथम खंड, द्वितीयावृत्ति, पृ. ३६४ (प्रकरण १७ मुं), 'जाम उन्नड़' । . . .. ... .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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