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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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४ नेतसी दुजणोत । राव रायसिंघ चंद्रसेणोत साथै सीरोही कांम
आयो ।
.५ कचरो नेतसीयोत । हरीसिंघ किसनसिंघोतरै वास' । ६. अमरो । ६ पीथो ।
३ प्रासो जोधावत । राव चंद्रसेणरा विखामें जोधपुर कांम आयो ।
४ डूंगरसी ग्रासावत । संमत १६४० बैराही आसारो पांनो थी । संमत १६५१ चांमूंरी वासणी पटै । पछे चांमूं दीवी । पछे चांपासर थो ।
५ सांवळदास डूंगरसीयोत । संमत १६४० मांणेवी पटै । पछे चांपासर दियो ।
दयाळदास । ६ मोहणदासः ।
५ गोयंद डूंगरसीयोत । संमत १६७३ चमूं पटै । संमत १७६५ वारणाऊ पटै ।
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६ रायमल गोयंददासोत । संमत १६६१ चांमूं उतरी ने गांव में वसता सु ऊंठ चढ रवणिये कांम गया था, सु मेहवचो देईदास पतावत बारोटियो थो सु पांचला कनासूं सांढ छवीस लीवी, सु रायमल चढियो तो थो सु वाहर दोड़ियो, वेढ हुई तठे कांम आयो । ७ हरीदास रायमलोत ।
६ रामचंद गोयंददासोत |
६ सादूळ गोयंदोत ।
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कचरा नेतसीश्रोतका हरिसिंह किशनसिंहोत के यहां बास | 2 राव चंद्रसेन के • विखामें जोधपुर में काम आया । 3 सम्वत् १६४० में बैराही गांवका प्रासाका पाना (भाग) इसको मिला हुआ था । संवत् १६५९ में चामूं की बासणी गांव पट्ट में था । फिर चामू गांव दिया गया और उसके बाद चांपासर भी दिया गया था । 4 संवत् १६४० में मारणेवी गांव पट्टे में, बादमें चांपासर दिया गया । ऽ सम्वत् १६७३ में चामू गांव और संवत् १६५५में वारणाऊ पट्टे में दिये गये । 6 संवत् १६६१ में चामूं जब्त हो गया और गांवमें रहता था । एक बार किसी कामके लिये ऊंट पर चढकर रवरिणये गांवको गया था। मेहवचा देवीदास पतावत लुटेरा हो गया था । उसने पांचला गांव के पाससे छब्बीस सांड़नियां घेर लीं। रायमल अपने ऊंट पर चढा हुआ आ रहा था, वह देवीदासके पीछे वाहर दौड़ा । देवीदाससे लड़ाई हुई, रायमल उसमें काम आया ।