________________
मुंहता नैणसी री ख्यात
7
11
[ २३ रस-कूंपारो माल करने राखिया । तठा पर्छ वरिहाहांसूं दावो मांगणरी मनमें राखै, सु घणो साथ राखियो । घणा घोड़ा पायगाह किया । वडी राजवट जमतो गई । पाखर, जीन सालरो वडो सामान कियो नाळां श्राराबैगढ़ साभियो । सुवरिहाहां मारणनूं हजार दाव प्रपंच करें । सु. जिसड़ो' साथ करै, तिसड़ी जांण उठे पड़े' । सु वरिहाहां पिण चकिया रहै छै । तिसड़ समै ऊ रस- कूंपा वाळो जोगी देवरावरी सासू रवाय कनै आयो । कह्यो - "ऊ कूंपो लाव ।” तरै इको- "ऊ कंपो म्हे माळिया मांहै मेलियो थो", म्हारो जमाई मांहै सूतो थो, सु. एक दिन लाय लागी, सु कूंपो मांहै बळियो । " तर जोगी मनमें जाणियो, दीसँ छे, "उण मांहिली कोईक बूंद पड़ी छै, तिणसूं लोहरो सोनो हुवो छै । तिण भरम मिटावणनूं जांणीजै छै लाय लगाई छै नै कूंपो उण लियो छै" । " तरै जोगी रवायनूं कह्यो--"कूंपो बळै नहीं, पिण लायरो उपाय थारै जमाई कियो' 3, नैः कूंपो उण लियो छै ।" तरै कह्यो - "ऊ जमाई हमैं मांहरै हाथ नहीं 1 4 | - उण मांहरी धरती कितरीहेक तोत कर ली, " ने हमें म्हांनूं मारणं सासता साथ करै छै । नै प्रो देवराज उठाथी कोर्स ३० बैठो छ । नवो गढ़ करायो छै ।" तरै उण जोगी लोगांनूं पिण समाचार पूछिया । लोग पण हीज समाचार कह्या ” । तरै जोगी देरावर आयो । देवराज पैहलां हीज जांणियो - " प्रो कूंपा वाळो जोगी छै ।" तर निलाड़ पिण दीठी, मुंहडारो नूर अटकळियो " । देवराज आय सांम्हो पगै लागो । घणो जोगीरो प्रादर-भाव कियो । जोगी पिण
2
15
7
18
19
1. तब देवराजने उस रस - कुप्पे के द्वारा ( लोहे से सोनेका) माल बना कर बहुत से घोड़े और राजपूत ( सैनिक ) रख लिये । 2 जिसके बाद वरिहाहोंसे प्रतिकार लेनेकी मनमें धारे हुए है । 3 हाथीकी भूल, हाथीका कवच -1 4 घोड़ेका कवच 15 बंदूकों और आराबोंसे गढ़को सजाया । 6 जैसा, जितना । 7 वैसी ही उधर जानकारी हो जाय । 8 सावधान । 9 वह । 10 रखा था । II सो एक दिन ग्राग लग गई । 12 मालूम होता है उस संदेहको मिटानेके लिये ग्राग लगा दी गई है और कुप्पा उसने ले लिया है । 13 ग्राग लगा देनेका प्रयत्न तुम्हारे दामाद ने किया । 14 वह दामाद अब हमारे वशमें नहीं। 15 धोखा करके ले ली । 16 भी । 17 लोगोंने भी ये ही समाचार कहे । 18 ललाट । 19 अनुमान किया, समझा ।