SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात ४० सोयाऊ जेसळमेर मेहवारी गड़ासिंध आपड़िया' । फळसूंडसूं. कोस ६, कुसमळोथी कोस २॥, तठे वेढ हुई । पोकरणरा भागा। आदमी १४० मारिया । इतरा सिरदार पोकरणांरा मारांणा - १ रा ।। सुंदरदास देवराजरो। १ रा । मुथरो रांणारो। १ रा॥ जगनाथ विजारो। मालो देवराजरो, मेघो रांणारो, मेघो महेसरो, भा।। अचळो सुरतांणरो, अ आय पगै लागा, पछै पाछा आंणिया । संमत १६६४रा . पोस सुद ८ बलोच मुगलखांन इसमायलखांरो बेटो विकूपुररै गांव भारमलसरमें मारियो' । तद रावळरा इतरा चाकर काम आया - १ सीहड़ देदो धनराजरो। धनराज, उधरण, हींगोळ । १ रा॥ देईदास भांनीदासोत । राखारै वसतौ । रावळ रामचंद सिंघरो। रावळ मनोहरदास कलावत संमत १७०६ । काळ कियो । बेटो मनोहरदासरै न थो। तरै राजलोगसूं. साजस करनै, के भाटी पण भीर करनै एक वार टीको लियो । सु सीहड़ रुघनाथ भांणोत तिण वेळा हाजर न हुँतो। सु जेसळमेर सीहड़ां माथै वडी मदार, सु इण मनमें खुणस राखी । तिण समै भाटी सबळसिंघ दयाळदासोत, दयाळदास खेतसीरो, रा॥ रूपसिंघ भार- " मलोतरो चाकर थो; रु० ६०००) तथा १००००) रो चाकर हुतो"। ___ I जैसलमेर और मेहवेकी सीमाके निकट, जैसलमेरसे ४० कोस सोपाऊमें उनको पकड़ लिया। 2 फलसंडसे ६ कोस और कुसमलासे २॥ कोस पर लड़ाई हुई। 3 पोकरण वाले भाग गये। 4 पोकरण वालोंके इतने सरदार मारे गये। 5,6 ये आकर पाँवों पड़ गये, तव इनको पीछा बुला लिया। 7 सम्वत् १६६४की पौष शुल्क को इसमायलखांके बेटे मुगलखानको विकूपुरके गांव भारमलसरमें मार दिया। 8 उस समय रावलके इतने चाकर काम आये। 9 जो राखाके यहाँ रहता था। 10 कल्लाका पुत्र रावल मनोहरदास संवत् १७०६में मर गया। II तव रानियोंसे मिल करके (षड्यंत्र करके)। 12 और . कई भाटियोंको अपनी ओर करके एक बार तो गद्दी वैठ ही गया। 13 उंस समय भाणाका वेटा सीहड़ रघुनाथ वहां हाजिर नहीं था। 14 क्योंकि जैसलमेरकी सारी दारमदार सीहड़ों पर है। 15 इसलिये इसने अपने मनमें इस बातकी खुनस रखी। 16 खेतसीका .. बेटा दयालदास और दयालदासका वेटा सवलसिंह, राव रूपसिंह भारमलोतके यहां नौ-दस : हजारके पट्टे की एवजीमें चाकर था।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy