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________________ २८२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-' जी, काको भतीजो समझल्यो । म्हे कांसू जांणां ?' ताहरां राव कानड़दे कह्यो-'माला ! तो धरती में तीजो हैंसो देइस ।' ताहरां कह्यो-'जी, मोनूं एथ लिखाय द्यो; अर थांहरा रजपूत पटू द्यो तो छोडूं।' ताहरां प्रोथहीज कागळ' लिख दियो। रजपूत पटू दिया ताहरां छोड़िया । आइनै धरती मालेनू वैहच दीधी। मालो कांनड़देरी खिजमत भलीभांत करै । ताहरां कानड़दे मालेनू .. बुधवंत' जांणनै प्रधान थापियो । ताहरां अमराव कहण लागा-'जियै ठाकुरै आपरा भाई प्रधान थापिया, तियांरी ठाकुराई जावणहारी। छै ।' हिवै माले धरती मांहै आपरो अमल करायो । राज भली- .... भांत चालण लागो । पण रजपूतारै वात दाय न आवै । ___ एकदा प्रस्ताव । दिलीरै पातसाह सारी धरती माहै डंड घातियो । गढ़ किरोड़ी मूंकिया। ताहरां महेवै ही किरोड़ी आयो । ताहरां कानड़दे सरब रजपूत तेड़िया" । कामेतियां, मालेजीनूं तेड़िया । तेड़नै मंत्रणो कियो–'जु, कासू करस्यां19 ?' ताहरां मालोजी वोलिया-'करोड़ीनू मारस्यां। डंड नहीं दां । 'सिगळां ही . ठाकुरांरै वात दाय आई-जु किसी विध मारस्यां ? मिसलत करो ।' ताहरां कह्यो-'जु इयांनू जुदा-जुदा कर मारस्यां, गांव लेजायनै मारस्यां ।' आ वात सिगळा ही दाय आई । ताहरां . किरोड़ी तेड़ने कह्यो-'थांहरा आदमी गांव मूंको, ज्यू पईसा ... ल्यावै । ताहरां इसी मिसलत कीधी-'आजहूं पांचमैं दिहाडै दोपहररी विरियां सरव काम करस्यां ।' आ मिसलत करि ऊठिया । .. 1 चचा भतीज परस्पर समझलो। 2 हम क्या जाने ? 3 तुझको धरतीमेंसे . तीसरा हिस्सा देदूंगा। 4 यहीं। 5 जामिन, प्रतिभू । 6 वहीं। 7 कागज, स्वीकार ... पत्र। 8 सेवा, नौकरी। 9 बुद्धिमान । 10 जिस ठाकुरने। II उनकी ठकुराई जाने वाली है । 12 अव। 13 राज्यका कार्य अच्छी तरह चलने लगा। 14 दंड डाला गया। 15 किलोंके लिये किरोड़ी भेजे गये। 16 किरोड़ी = दंड उगाहने वाला। 17 बुलाया । .. 18 सलाह की। 19 क्या करेंगे? 20 सब ही ठाकुरांके वात पसंद आई। 21 गुप्त । परामर्श करें। 22 इनको। 23 गांवोंमें लेजा कर मार देंगे। 24 भेजो। 25 पैसे ..... (द्रव्य)। 26 अाजसे। 27 दिन । 28 समयः।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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