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मुंहता नैणसीरी ख्यात
३ देवो विक्रमादीतरो, तिगरा भरोसरिया भाटी । २ कलकरन केल्हणरो, इणांरै गांव तांणांणौ । ३ चांपो ।
४ सांगो ।
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५ ईसर, तरगां वसै ।
भाटियांरी साख मांहै साख हमीरांरी कहीजै' -
हमोर रावळ देवराजरो । देवराज मूळराजरो, चाकर जेसळ - मेरा ।
नरो अजावत । अजो किसनावत । किसन चूंडावत । ग्रागली खबर नहीं ँ ।
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जैसलमेर च्यार परधांन भाटी साख - साखरा । तिगां मांहै एक परधानगी हमीरांरी भाटियांरे पोकरण हुती' । तद घरणा हमीर कैरडूंगर वोहळा ऊपर रहता । जेसळमेररै देस गांव १ मछवाळो इणारे, जेसलमेर था कोस ४ जैसुरांणा कनै ।
मुथरो रायमलोत, मुथरो हरावत, मांनो सिवदासोतरों गूढो कैरडूंगर कनै हुतो", तठे रा॥ प्रथीराज अखैराज दलपतोत रा ।। उदैसिंघ वाघावतरै वैर इणांरा गूढा मारने संमत १६६२ गायां १००० लीवी"। वांसै पोकरणरो साथ, राव सूरसिंघ बलू ने हमीर, मुथरो, पतो, मांनो, वाहरू हुवा। मुंडेळाई मांगळियांरै डेरो कियो " ऊपर श्राया, वेढ हुई । राव सूरसिंघ, वलू कांम आया । तठै मुथरो, पतो कांम आया । पतो पूरे घावै उपाड़ियो" ।
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1 जिसके वंशज भरोसरिया भाटी । 2 इनके पास तारणारणा गांव । 3 ईशर तारणारणा में रहता है । 4 भाटियोंकी शाखाओंोंमें एक शाखा हमीरांकी कहलाती है | 5 इसके श्रागेका पता नहीं । 6 जैसलमेर में अलग-थलग शाखाग्रोंके चार भाटी प्रधान हैं । 7 उनमें एक प्रधान पद हमीर भाटियोंका पोकरनका था! 8 जैसलमेरसे चार कोस पर जैसुराना गांव के पास 1 9 गुढा ( रक्षा-स्थान ) कैरडूंगर नामक पहाड़ीके पास था । 10 उदयसिंह वाघावतकी शत्रुताका वदला लेनेके लिये सम्वत् १६९२ में इनके गुढोंको मार कर के इनकी १००० गायें लेलीं । II बाहर चढने को तत्पर हुए। 12 मूडेलाई गांव में मांगलियोंके यहां डेरा दिया । 13 चढ कर आये और लड़ाई हुई। 14 पूर्ण ग्राहत पताको उठा कर ले जाया गया । -