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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३१३ तेडिनै रावजी कह्यो-'तूं सपूत छै। रिणमल बेटा ! तूंविदा कर।' ताहरां रिणमलजी कह्यो-'रावजी ! आ धरती कान्हैयूँ छै । म्हैं ईयैसूं कांम कोई नहीं ।' ताहरां रिणमलजी रावजीरै पगां लाग पर सोझत पधारिया । . . एक दिन रावजीर भुजाईरो घिरत आवतो हुतो, गाडी-वाहणा भरिया । रोज भुंजाईमें बारह मण घी लागतो । राव चूंडोजी वडो दातार । भुजाई भली । चरवै सुकाळ' । सु एक दिन मोहिल घी आवतो दीठो । ताहरां मोहिल पूछियो-'रावजीरै कोई वीमाह छ ?' छोकरी मेलनै खबर कराई । कहियो-'जी, बारह मण घी रोज पूंजाई लागै छै ।' ताहरां छोकरी आय कह्यो । ताहरां मोहिल बोली-'रावरो घर युही लूटीजै छै । ताहरां मोहिल रावजीनूं कह्यो 'झुंजाई म्हारै सारै कीजै । ताहरां भुजाई मोहिल सारै कीवी छ । ... - ताहरां मोहिल पांच सेर घिरत झुंजाई लागै छै। रावजीतूं कह्यो - 'म्हे थांहरै वडी संमार कीवी छ ।' ताहरां रजपूत सरब दुमना हुवा' । ठकुराई नांन्ही घाली । .... कितराइक दिन हुवा, ताहरां रांणंगदेरो बेटो हुतो सु16 भाटी एकठा किया। पछै मुलतांण जाइनै'' मुसलमान हुइनै18 मुलताणरी ... फोज प्रांणी। भाटीनै तुरक मिळनै आया। ताहरां रिणमलनूं ..कह्यो-'तूं नीसर । जे तूं जीवतौ छै तो तूं म्हारौ वैर लेईस । . I बुला कर । 2 पुत्र रिणमल ! प्रस्थान कर । 3 तव रिणमलजीने कहा.. रावजी ! यह धरती कान्हाके लिये है, मेरेको इससे कोई वास्ता नहीं है। 4 तब रिण· मलजी रावजीके चरण स्पर्श कर सोजतको चले गये। 5 एक दिन रावजीके यहां भंजाईके लिये बैलगाड़ियों में भरा हुमा घृत पा रहा था । 6 प्रति दिन भुंजाईमें बारह मन घी लगता था। 7 राव चूंडाजी बड़े. दातार अतः भुंजाई अच्छी बनती थी और अतिथि-सत्कार भी ' अच्छा होता था. (कोई भी प्रानो, सबका भोजन उनकी अोरसे ही होता था।) 8 देखा। 9. रावजीके कोई विवाह है क्या ? - 10 दासीको भेज कर खबर करवाई। II रावका - घर योंही लुटा जा रहा है। 12 भोजनकी व्यवस्था मेरे अधिकारमें कर दीजिये। 13 हमने तमारे वडी बचत कर दी है। 14 तव सभी राजपूत नाराज हो गये। IS ठकराई कम जोर हो गई। 16 जिसने । .17 जा कर के। 18 हो कर के। 19 भाटी और मुसल..मान साथ हो कर के आये। 20. तू निकल जा। 21 मेरे वैरका बदला लेवेगा।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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