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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २१ छ । तरै देवराज मनमें विचारियो-हं अठ रहं तो म्हारा माईतारो नांव जाय' । तरै उठाथी छाड़ नै मामा भुटादेरावर नजीक किणही ठोड़ रहता था तठे नजीक आय रह्यो, न मांमारी घणी चाकरी करी, नै माल तो देवराज कन्है उण रस कूपा कर घणोई छ । सासतो पांच दस कोस फिर आवै । सु एक ठोड़ गढ़नूं देखतो फिरै छै। सु · किणहीक देवराजनूं, 'जिण ठोड़ हमें देरावर छ, तिका ठोड़ वताई ।
कह्यो-"कोस ४०री सिंध दिसा. उजाड़ छै, कोस ६० तथा ८० माड" . दिसा उजाड़ छै, नै इण ठोड़ पांणी छै ।" तरै मामा भुटारी घणी
चाकरी करण मांडी । मांमो खुसी हुवो, कह्यो-“तूठो भाणेज ! क्यूं मांग" । म्हे म्हारा घर सारू दां ।” तरै इण देवराज कह्यो-"ब्रह्मवाचा, रुद्र वाचा, हूं दिन दोय मांही विचार नै मांगीस' ।" तठा पछै दिन दोयनें कह्यो-“एक आसरा जोगी ठोड फलांणी जायगा पाऊं।" तरै इण मांमै कह्यो-“भली वात ।" तरै उणरै परधान भाइयां-बंधवां मांमानूं समझायो, कह्यो-“ो किण घररो छोरू छै। अो अठै रह्यो थांनूं दुख देसी ।" तरै वळे नटियो । तरै देवराज कह्यो-“मैं कदै थां कनां धरती मांगी थी । थे थांरी उचितसूं मोनूं तसलीम कराई थी । हमैं तो म्हारो थारो ना कह्यो भलो न दीसै ।
हमैं पांच लोगै वात सुणी ।" तरै भुटै कह्यो-“म्हे थोड़ी धरती देस्यां।" .. तरै कह्यो-“जिका राज खुसी होय देस्यो तितरी म्हे माथें
चढाइ लेस्यां"।" मांमै लिखदी-एकण भैंसरा चाम मांहै आवै तितरी दीनी । पछै देवराज पटो मांथै चढ़ाय लियो । भुटै साथै आदमी दिया । तरै कह्यो-“राज! आदमियां हुकम करो, हूं भायसो
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I मैं यदि यहां रहता हूँ तो मेरे माता-पिता का नाम चला जाता है । 2 नजदीक । 3 बहुत ही। 4 निरंतर । 5 जैसलमेर प्रान्त (पहले मड्ड जैसलमेरसे अलग-प्रदेश माना जाता था)। 6 भानजे ! तेरे पर मैं प्रसन्न हुवा। 7 कुछ मांगले। 8 हम अपने घरकी हैसियतके अनुसार तुमको देंगे। 9 मांगूंगा। 10 आश्रय योग्य एक स्थान अमुक जगह पर पाऊं। II पुत्र, औलाद ।। 12 तब फिर नट गया। 13 मैंने कब तुम्हारे पास धरती मांगी थी। 14 आपने अपनी इच्छासे मुझे अंगीकार करवाया था। 15 जितनी । 16 आप । 17 उतनी हम सिर चढ़ा कर लेंगे। 18 भैसका पाला (बिना कमाया हुअा कच्चा) पूरा
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चमड़ा।