________________
२० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै कह्यो-"बेटी इतरी मोटी हुई, नै इणरै वररी खवर ही नहीं। न जांणां मुंवो, किना' कठी ही जोगी सन्यासी हय गयो।" तरै रबारी सांगी कह्यो-"मोनूं वधाई दो, थांहरो' जमाई सलामत छै, मोटो हुवो छ, लायक छ ।” तरै रबाय घणो सुख हुवौ । पछै घणी .... अजीजी की—'जु किणही सूल देवराजनूं अठै प्राणो,' तिका वात करो।" तरै इण कह्यो—“मोनू थांहरो, थांरा धणीरो वेसास नावै ।" तरै रवाय घणा वचन किया । तरै रवारी सांगी देवराजनूं छांन11 ले पायो । रवाय घर मांद ले राखियो। कितराहेक दिन वतोत हुआ । रवायरो धणी जाण नहीं । पछै कितरैहेक दिने हुरड़नूं प्राधांन रह्यो, तरै बैर किणही भांत आपरा धणीनूं समझाय नै बोलबंध लेनै देवराज आपरा धणीसू मिळायो। पछै देवराज को दिन उठेहीज15 रहतो हुतो । उठे देवराज मैड़ीमें पोट्टै छ, तठे जोगी बाबो रैहतो । एकरसां" इणरो कूपो' रवायनूं खूप गयो थो । भरम . भागो न थो। सु उण कूपा मांहिथा टबको १ छरण नै हेठो पड़ियो,' तिको देवराजरी कटारीरै लागो, सु लोहरी थी सु सोनारी हुई। तरै सवारै देवराव दीठी, तरै विचार दीठो जु-"इण कूपा मांहै काई बलोई छ ।” तरै प्रो कूपो देवराज उरो लेने कबज कियो1 । सवारै मैडो रातरी बाळदी, तरै रवाय जांणियो-“कूपो मांहै बळ गयो।" तठा पछै कितराहेक दिने उठाथी देवराव सुसरा सासूनूं कह्यो-“मोनूं लोक सको 'हुरड़वनो: कह वतळावै छै । हूं थांसू जुदो वसीस। तरै नदीरै पैलै कांठे जाय आपरो गूढो कर रह्यो । तिणनूं ही लोग 'हुरडवाहण' कैहण लागा । तिका ठोड़ हमैंही 'हुरडवाहण' कहीजै
19.
1 इतनी। 2 इसके । 3 पतिकी । 4 मर गया। 5 अथवा । 6 कहीं। 7 मुझको। 8 तुम्हारा। 9 किसी भी प्रकार देवराजकों यहां लायो। 10 तुम्हारे पतिका विश्वास नहीं होता। II गुप्त । 12 हुरड़को गर्भ रहा । 13 पत्नी । 14 वचन । IS वहां ही। 16 एक बार । 17 कुप्पा । 18 संदेह दूर नहीं हुआ था (कुप्पेमें क्या वस्तु थी, इसका पता नहीं था) 19 उस कुप्पेमेंसे छन कर एक बूंद नीचे गिरी। 20 देखी । 21 तव इस कुप्पेको देवराजने लेकर अपने कब्जे में कर लिया। 22 दूसरे दिन मंडीमें आग लगा दी। 23 सभी। 24 हुरड़ का पति । 25 मैं तुम्हारेसे अलग रहूंगा। 26 परले किनारे। .
..
.
.