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मुंहता नैणसीरी ख्यात नहीं । प्रोहित लूणारा घर पोकरण कन्है था; त, देवराजनूं ले कुसळे आय पुंहतो । वरिहाहांरो साथ वांस हुवो आयो । आयनै बांभण रतन लूंणोतरानूं पूछियो-“थे देवराजनूं ले आया छो ?" तरै बांभण लाप कह्यो-“म्हे तो किण ही ले आया नहीं।" वळ उणांनूं कह्यो"थारै मन माहै • भरम रहै छै तो थे म्हारा घर जोवो ।” उणा फिर फिर सारा वस्तीरा डावड़ा जोया । जोवतां जोवतां देवराजनूं उणां मांहै प्रोपरो सो दीठो, तरै बांभण पूछियो-"अो डावड़ो कुण छै ? ओपरो सो दीसै छै ।" तरै बांभण कह्यो-“ो म्हारो बेटो छै ।" तरै उणै वरिहाहारा आदमियां कह्यो-“थांहरो बेटो पोतरो छ, थे भेळो ले जीमो, ज्यूं म्हे परा जावां ।" तरै बांभण आप तो भेळो ले न बैठो नै वडा बेटा रतनानूं देवराजरै भेळो बैसांणियो नै जीमियो । तरै
वरहाहांरा आदमी फिर गया। देवराज तो इण भांत वचियो। तठा . पछै वीजा बांभणां रतनरा भाईयां रतन पांत मांहिथा परो काढ़ियो'।
तरै रतन जोगी हुयनै सोरठ गयो । उण बांभणरी जात लूंणोत नांव
लांप वसुदेवरो सीहथळी गांव वसै छै ।। ... तठा पछै देवराज मोटो हुवो। तुरकारी चाकरी गयो । वांस
रबारी सांगी देवराजरो वरिहाहारै उठ गयो हुतो सु उरण रबारीनै वरहाहारी बैर' रवाय भाई कह वतळायो तो सु उण रबारी आयांरी खबर रवायतुं हुई, तरै उण रबारी रवाय तेड़ लियो । वात- ' विगत पूछनै. बेटी हुरड़ दिखाय नै जीव दोहरो करण लागी; तरै रवारी सांगी कह्यो-“थे किण वासत जीव दोहरो करो छो11. ?"
I वह सांढ़ (ऊंटनी) पीछा करने वालोंकी पकड़में अा जाय वैसी नहीं है। 2 पहुंचा। 3 तुम्हारे मनमें कोई वहम है तो हमारे घर देख लो । 4 लड़के, वच्चे। 5 देखते-देखते उन सबमें देवराजको कुछ अजनवी सा देखा । 6 तुम्हारे बेटे-पोतोमें से ही है तो तुम उसको अपने शामिल बैठा कर भोजन करो, ताकि (हमारा वहम मिट जाय और) हम चले जायं ।
7 जिसके बाद दूसरे ब्राह्मणों और रत्नके भाइयोंने पंक्ति मेंसे निकाल दिया (जाति-च्युत ' कर दिया) । 8 वह वसुदेवका पुत्र लांप नामसे लूणोत जातिका ब्राह्मण सीहथली (सिंह
स्थली) गांवमें रहता है। 9 स्त्री। 10 तव उस रैबारीको अपने पास बुला लिया। II तुम किसलिये जी उदास कर रही हो।
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किस