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मुंहता नैणसीरी ख्यात एक सिवो कैलवेचो अजारो। मेघो गांगावत । भा० नादो रायचंदरो।
केल्हण घावै ऊवरियो । केल्हण ।
भाटी प्रतापसिंघ सुरतांणोत पेथड़।
घावै ऊगरियो । मोकल सोभ्रमरो।
पछै रावळ भीम भा।। गोयंददासनूं कह्यो-“गोपाळदास क्यु मांहरा कह्या माहै न छै। थे गोपाळदास ऊहड़सूं समझ ल्यो ।" पछै रावळ भीम सारो जेसळमेररो साथ देनै लोहड़ा-भाई कल्याणमलनूं कोढणा ऊपर मेलियो', नै कोढणो मारियो । तद ऊहड़ गोपाळदासरै हवाल गढ जोधपुररी कूची छ, राते वाहाऊ अायो' । गोपाळदास गढरी प्रोळ जड़ी उघडायनै, गांगाहै कटक ऊतरियो थो सु दिनऊगतै सांमो आपरो साथ ले धोळे-दिन आय वाजियो' । ऊहड़ गोपाळदास काम आयो । भाटियांरो साथ काम आयो -
१ कोटड़ियो सुरताण। १ भा॥ गांगो वीरमदेप्रोत, रावळ जैतसीरो पोतरो, जैराइतरो.
धणी11 । ऊहड़ गोपाळदास साथै इतरो साथ काम आयो१५ ऊहड़- १ करमसी। १ कंवरसी। १ महेस। १ गोयंद' ।
७ चहुवाण-१ संकर सिंघावत । १ वीसो । ६ देवड़ा-१ गोपो। १ गोयंद।
I पाहत केल्हण बच गया । 2 सुरताणका वेटा भाटी प्रतापसिंह भी आहत हो करके बच गया। 3 गोपालदास हमारी प्राज्ञामें नहीं है। तुम गोपालदास ऊहड़से निपट लो। 4 छोटा भाई। 5 आक्रमण करनेको भेजा। 6 और कोढणा पर अधिकार कर लिया ! 7 उन दिनों जोधपुर दुर्गकी चावी ऊहड़ गोपालदासके सुपुर्द थी, (अतः वह जोधपुरमें था) रातको दूत पाया (और उसको इस आक्रमणकी सूचना दी)। 8 गोपालदासने दुर्गका वंद द्वार खुलवा कर। 9 गांगाहे गांवमें (जहां भाटियोंका) कटक ठहरा हुआ था, सवेरा होते ही अपने आदमियोंके साथ वहां पाया और धौले दिन (दिन भर) लड़ा। 10 भाटियोंका इतना साथ काम आया। II जैराइत गांवका स्वामी भाटी गांगा जो वीरमदेका वेटा और रावल जैतसीका पोता था । . 12 इतना। 13 करमसी, कुंवरसी, महेश और गोयंद आदि पंद्रह उहड़। 14 सिंहका वेटा शंकर और वीसा आदि ७ चौहान। 15 गोपा और गोयंद आदि ६ देवड़े।