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मुंहता नैणसीरी ख्यात
झालांरी बंसावली लिख्यते झालो सुरतांण प्रथीराजरो। प्रथीराज, चंद्रसेन, रायसिंघ मानसिंघरा, तिको वांकानेर वसियो' । ईडर राव कल्याणमलरी भतीजी, केसोदास नारायणदासोतरी वेटी परणियो थो' । सु ईडर छड़वडै साथ जातो हुतो । पछै रांणा आसकरणनूं खवर हुई। गांव माथकै हळोदथा .. कोस ७ उतरियो हुतो सु तठे आदमियां १२सू मारियो ।
१ मानसिंघ हळोद धणी। २ रायसिंघ हळोद धणी। वडो रजपूत, जिण जसो साहिब
मारिया । . ३ रांणो चंद्रसेन रायसिंघरो। इणनूं मोटै राजारी बेटी सत-.. भामावाई परणाई हुती। घणा दिन जीवियो। पछ बेटै
आसकरन अमर कैदमें कियो । ३ नारणदास । ३ भगवानदास । रांणा चंद्रसेन रायसिंघोतरो परवार प्रांक ३
४ प्रथीराजनूं पातसाह जांहगीर पकड़ ग्वालेर चाढियो' । ... ५ सुरतांण प्रथीराजरो। ४ भोजराज । ४ रांणो। ५ प्रतापसी। ५ रांणो आसकरण वापनूं झाल आप टीक बैठो । सतभांमारो ...
I पृथ्वीराज, चन्द्रसेन और रायसिंह तीनों मानसिंहके पुत्र, वह (मानसिंह) वांकानेरमें जा बसा । 2 मानसिंहका ईडरके राव कल्याणमलको भतीजी, उसके भाई केशवदास नारायणदासोतकी बेटीके साथ विवाह हुआ था। 3 वह छुटपुटे साथको लेकर ईडर जा रहा .. था। 4 हलवदसे सात कोस दूर मायके गांवमें ठहरा हुया था, वहां पर १२ पादमियोंके माय प्रासकाने मानसिंहको मार दिया। 5 रायसिंह हलवदका स्वामी। यह बड़ा वीर .... राजकृत हुना। इसने जना और साहिबको मारा। 6 पीछे उसके (चन्द्रसेनके) वेटे प्रासकर्ण और अमरने चन्द्रसेनको कैद कर दिया। 7 बादशाह जहांगीरने पृथ्वीराजको पकड़ कर ... ग्वालियर किलं पर चढ़ा दिया । 8 राणा ग्रासकर्ण अपने वापको पकड़ (कंदमें डाल ) कर ..... स्वयं गद्दी पर बैठ गया।