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________________ २६२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात सेवाड़रै भालारो वात मेवाड़रै दरवार झाला वडा रजपूत हुवा। रांणारै अ सिरै चोकी उमराव छै । इणां ऊपर कोई वैसण न पावै । सु राणा सांगारी वार माहै आया अजो सजो । इणांनूं भायां-ग्रासियां हळवदथी काढिया, तरै मेवाड़में आया । १ रांणो राजो। २ अजो राजारो । मेवाड़ हळवदथी आयो । रांण सांगै नै बावर पातसाह सीकरी-पीळियेखाळ वेढ हुई तरै रांणो सांगो भागो, तठे अजो काम आयो । ३ सिंघ अजारो। बहादर पातसाह मांडवरै हाडी करमेतीरै फेरै चीतोड़ लियो, तद काम आयो । २ सजो राजारो। परगनो हाडोतीरै मेऊरो परगनो अक ठोड़ ... छोटी सी झालावाड़ अठै ही कहीज'। गांव ४० तथा ५०... वे कहीजे तठे झाला वसै छै। रजपूत वस्ता भोमिया तिणांनूं ... नवसेरीखांन तोड़ नांखिया । सु उण झालावाड़रा मुदै गांव : - १ उरमाळकोट। १ सूंडल। १ रायपुर । सिंघ अजारो प्रांक ३ ४ सुरतांण । ४ मालो। ४ पूरो। ४ कांन्ह । . ४ लूंणो। ४ किसनो।। I ये (झाले) रांगाके दरबार में सबसे ऊंचे ग्रासनके (मिसलके) उमराव हैं। 2 इनके पर कोई बैठने नहीं पाता। 3 राणा सांगाके शासन काल में अजो और सजो आये। 4 इनको इनके ग्रासिया-भाईयोंने हलबदसे निकाल दिया तब ये मेवाड़में पाये। 5 राणा सांगा और बादशाह बावरके परस्पर सीकरी-पीलियाखालमें लड़ाई हुई जिसमें राणा सांगा तो भाग गया और प्रजा उसमें काम आ गया। 6 हाडी करमेतीके लिये मांडवके वादशाह बहादुरने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया, उस समय अजाका लड़का सिंघ काम आया । 7 हाहोतीका यह एक मक परगना भी यहाँ पर छोटी झालावाड़ कहा जाता है। 8 भोनिया राजपूत यहां रहते जिनको नवसेरीखांने मार भगाया। 9 उस झालावाड़के खास गांव के हैं।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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