________________
पदमणा
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०३ कनै मांगणी गयो हुतो' । तिणनूं पातसाह महमंद रीझनै घोड़ी २ · लाछ नै लिखमी दीनी । तिकै नागारजन घर ले आयो। तिणरै पेटरा बछेरा २ हुवा, उचासरो नै अमोलक । तिकै वडा घोड़ा हुवा । उणांरी राव मंडळीक तारीफ सुणी, तरै चारण कनै घोड़ा मांगिया। चारण न दिया। राव मंडळीक घोड़ा मांगण इणांरै घरै आयो । इणे उजर कियो तरै परो गयो ।
तठा पछै कितरैहेक दिने राव मंडळीकरो नाई १ नागहीरै गांव गयो हुतो । तिण कना" नागही बेटारी वहु पदमणीरा नख लिराया। सु उण जायनै पदमणीरी वात राव मंडळीकनूं कही । तरै मंडळीक पदमणी देखण नागहीरै गांव जाण लागो। तरै मंडळीकरी बैर सीसोदणी राव घणोही वरजियो, पिण राव मांनै नहीं । दूहो- चारण वड्डो खूटियौ, चक्रवत जेहै चाव ।
बालोवळ वीसळ धणी, मोदळ रावो राव ॥ १ .. तठा पछै ° मंडळीक नागहीरै घरै आयो। तरै नागही सारा . सोरठरा लसकरनूं नांनी सी कोठी माहितूं सीधो दियो । तरै सारै
चाकरै नागहीरा देवातनरी वात राव कनै कही, पण मंडळीक मानै नहीं । वाद लागो । पछै राव जिण वड़ हेठे बैठौ थो, सु वड़ लोही वूठो, तोही समझ नहीं । नागहीनूं कहण लागो- "म्हांनूं
___] उसका बेटा नागार्जुन अहमदाबादके बादशाह महमूद बेगड़ाके पास मांगनी करनेके लिये गया था। 2 बादशाह महमूदने प्रसन्न हो कर उसे लाछ और लिखमी नामकी दो घोड़ियां - इनाममें दी। 3 उनको नागार्जुन अपने घर ले आया। उनके पेटसे दो बछेरे उत्पन्न हुए - जिनके नाम उचासरो और अमोलक रखा। 4 उनकी। 5 राव मंडलीक घोड़े मांगनेके
लिये स्वयं इनके घर गया, लेकिन इन्होंने उज़ कर दिया, तब यह लौट कर चला गया । .6 जिसके कितने ही दिनोंके वाद राव मडलीकका एक नाई नागही देवीके गांवको गया था ।
7 जिससे । 8 सो उसने जा करके। 9 तब मंडलीककी पत्नी शिशोदनीने राव मंडलीकको बहतेरा मना किया, परन्तु रावने नहीं माना। 10 जिसके बाद । II तव नागहीने सोरठकी सारी सेनाके लिये एक छोटी-सी कोठीमेंसे भोजन-सामग्री निकाल कर दी।
.12 तब रावके सब ही चाकरोंने नागहीकी देवी-शक्तिकी (दैव्यांशी होनेकी) बात रावको .. जा कर कही, परंतु मंडलीक इस वातको नहीं मानता। 13 वह हठ पर चढ़ा रहा । 14 राव
जिस बड़-वृक्षके नीचे बैठा था, उस बड़-वृक्षसे रुधिर-वर्षा हुई, तब भी वह (उसके दैवी-चमत्कारको) नहीं समझता ।