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मुंहता नैणसीरी ख्यात ७ सुंदरदास भींवोत । ७ रामसिंघ भींवोत ।
६ हींगोळदास सुरतांणोत । संमत १६५१ गांघड़वास पटै । ईडरथा आंणियो। सं० १६५८ वडलो, प्राचीणो दियो थो। पछै राम कह्यो।
६ माधोदास सुरतांणोत । ७ हरीदास माधोदासोत, किसनगढ़ रेहतो ।
५ पूरो रांणावत । मांडणजीरै वास थो। संमत १६४३ मांडणजीनूं अासोप पातसाहजी दीवी। देसमें पाया, तद कमरसोतांसूं वेढ हुई, त? काम आयो । ___बळिकरन पूरावत । संमत १६६४ चिनड़ी आसोपरी पटै । . पछै उदैसिंघ भगवानदासोत मेड़तियारै वसियो ।
५ ठाकुरसी रांणावत । सं० १६– रोहणवो अोईसांरो पटै । पछै चंगावड़ो पटै दियो । पछ दिखणनूं रांम कह्यो ।
५ मेदो रांणावत । संमत १६४० बैराही माहै वरजांगरो पांनो . थो, सु दियो । सं० १६४२ बुखटो ओईसांरो दियो। संमत १६५१ . चंडाळियो दियो।
६ जोगीदास मेदावत । संमत १६७४ चांगावड़ो पटै । पछै संमत १६७७ इंछापुररी दोड़ ब्रहानपुरथा निवाब दोड़ियो तठे काम आयो, . वांण लागो'।
1. इसे ईडरसे बुला लिया। संवत् १६५१में गांघड़वास गांव पट्टे में दिया । संवत् १६५८में वड़ला और प्राचीणा गांव दिये गये। पीछे मर गया। 2 यह मांडणजीके यहां नौकर था । सम्वत् १६४३में बादशाहने मांडणजीको पासोपका पट्टा इनायत किया। मांडणजी .. देश में (मारवाड़) आया तब करमसोतोंसे लड़ाई हुई, पूरा उसमें काम पाया। .. 3 - संवत् १६६४में आसोपका चिनड़ी गाँव पट्टेमें। पीछे मेड़तिया उदयसिंह भगवानदासोतके यहां बस. गया। 4 संवत् १६...' में अोइसका रोहणवा गांव पट्टे में। 5 फिर चंगावड़ा गांव पट्टे में दिया। पीछे दक्षिण में मर गया। 6 संवत् १६४०में वैराही गांवका जो भाग वर- .. जांगके पास था, वह इसे दिया। संवत् १६४२में अोइसोंका बुरवटा गांव और संवत् ।। १६५१में चंडालिया गांव दे दिया था। 7 सम्वत् १६७४ चंगावड़ा गांव पट्टे में । सम्वत् .. १६७७में जब इच्छापुरीकी लड़ाईमें बुरहानपुरसे नवाव चढ कर के गया जिसमें जोगीदास वारण - .. लगनेसे काम आया ।