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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २४५ वजावस्यां' ।' तरै जेसे कह्यौ-'जो थे नगारो वजावस्यो तो हूं वेढ करीस ।' आ वारता तो अठै नीवड़ी । ____सोदागररो पहला नगारो वाजियो थो, तिणरी जेसै खबर कराई, जु कुण छ । जु आदमी खबर दी-जु वापारी लोक छै। पैंडै जाय छै ।' पा वात जेसै सुणनै कह्यौ-'काहुं करां ! वापारी लोक हुवा। नहींतर म्हारी सीव माहै नगारो देरावै नै हूं वेढ न करूं ! सु जांणनै प्राघो काढियो'। - पछै कितराएक दिनां मास ४ तथा ५ झालै मानसिंघ रांम कह्यौ । तरै रजपूतां विचारियो-'जु टीको किण देस्यां' ? रायसिंघरा भाई तो नान्हा छै नै रायसिंघ बाहिर छै। नै यांथी तो धरती रहसी नहीं । टीका लायक रायसिंघ छ । तरै विचारनै रजपूते रायसिंघनूं बुलायो। इण दिसी अोठी चाढियो नै कह्यौ'ठाकुर राम कह्यो छै । धरती थाहरी छै । थे वेगा पधारज्यो ।' सु जेसो रायसिंघ साळो बैहनेई झरोखै बैठा था। तितरै अोठी14 १ हळोदरै मारग दिसी आवतो जेसै दीठो । तरै रायसिंघनूं कह्यो-'जु अोठी १ हळोदरा मारग दिसी आवतो दीसै छै" । युं बेऊ ठाकुर वात करै छै; तितरै अोठी आय दरबाररै मांहै मुंहडैउतरियो आय जुहार कियो । तरै जसै रायसिंघ रजपूतनूं पूछियो'जु थे क्युं आया छो ?' तरै रजपूत कह्यो-'ठाकुरां राम कह्यो नै राजनूं रजपूतै बुलाया छै। राज वेगा पधारो। राजरी धरती छ ।' जाड़ेचै जसै कह्यो-'राज वेगा पधारो।' जसै रायसिंघनूं I यदि हम राजपूत हैं तो तुम्हारी सीमामें आ कर नगारा बजवायेंगे। 2 यह बात तो यहां ही समाप्त हुई। 3 कि कौन है। 4 मार्ग चल रहे हैं। 5 क्या करें। 6 नहीं तो। 7 सो जानते हुए भी आगे निकल जाने दिया। 8 फिर कितनाक समय, चार तथा पांच महीने बीत जाने पर झाला मानसिंह मृत्यु-प्राप्त हुना। 9 राज-तिलक किसको देंगे ? 10 छोटे। II और इससे तो देश सम्हलेगा नहीं। 12 इसके लिये एक उष्ट्रारोहीको भेजा। 13 आप जल्दी आयें। 14 उष्ट्रारोही, शुतुरसवार । 15 से, की ओरसे । 16 देखा। 17 कि एक उष्ट्रारोही हलवदके मार्ग द्वारा प्राता हुआ दिखाई देता है। 18 दोनों। 19 इतनेमें उस उदास-मुख उष्ट्रारोहीने भीतर पा कर प्रणाम किया। 20 ठाकुरको मृत्यु हो गई। .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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