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मुंहता नैणसीरी ख्यात वात १ झाला रायसिंघ मानसिंघोत नै जाड़ेचा जला धवलोत नै जाड़ेचा सायव हमीरोत बेढ हुई तिणरी'
झाला रायसिंघ मानसिंघोतनूं मानसिंघ परो काढियो'; तरै जाड़ेचो : जसो रायसिंघरै बैहनेई हुतो, तठे गयो । उठे रायसिंघ वरस १ रयो । सु एक दिन जसो रायसिंघ चोपड़ रमता हुता ; तितरै १ सोदागर नवैनगर भुजनूं जातो थो, सु नगारो साथै थो, सु वाजतो थो। सु गांव धोळहर जसार गांवरी सीम माहै पेंडै नीसरतो थो । सु जसै नगारो सुणियो ने कह्यो-"यो नगारो कुण वजावै छै? इसो कुण छै जु मांहरै गांवरी सीममें नगारो वजावतो नीकळे ? पांडव हुकम कियो .. जु घोड़ो तयार कर ल्याव । साथसूं जाबता की-"जु वेगा तयार हुइ... आवो' । प्रांपां इणसूं वेढ करस्यां ।'
तरै झालै रायसिंघ कह्यो-"म्हारा ठाकुर ! इसड़ी वात हळवी कासूं करो छो2 ? पंडा रो गांव छै13। घणा ही पैंडै नीसरसी,थे किणकिणसू वेढ करसो14 ?" तरै जसै कही-"जु जिकोई15 म्हारी सीव माहै नगारो वजावतो नीसरसी तिणसू? म्हे वेढ करस्यां ।" तरै रायसिंघ कह्यौ-"राज ! वेढ नहीं कर सको।" तरै जेसै प्रोकर वाह्यो18"जु जांणीजै छै, राज मांहरी सींव माहै नगारो वजावसो !" तरै रायसिंघ कह्यो-"म्हे रजपूत छां तो थांहरी सीव मांहै प्राय नगारो
___झाला रायसिंह मानसिंहोत और जाड़ेचा जसा धवलोत तथा जाड़ेचा साहिब हमीरोतके परस्पर लड़ाई हुई उसका वर्णन। 2 मानसिंह ने झाला यमल मानसिंहोतको अपने देशसे निकाल दिया। 3 तब रायसिंह अपने बहनोई जाड़ेचा जसाके यहां चला गया । 4 तो एक दिन जसा और रायसिंह दोनों चौपड़ खेल रहे थे। 5 इतने में। 6 सो वह जसाके धवलहर गांवकी सीमामें हो कर मुसाफिरी करता हुआ निकल रहा था। 7 यह नगाड़ा कौन बजा रहा है ? 8 ऐसा कौन है जो मेरे गांवकी सीमामें नगाड़ा बजवाता हुग्रा निकलता है ? 9 सईसको आज्ञाकी कि वह घोड़ा तैयार करके लाये। 10 सैनिकोंको सूचना की कि : ... जल्दी तैयार हो कर आयें। II अपन इससे लड़ाई करेंगे। 12 मेरे सरदार ! ऐसी पोछी. बात क्यों करते हो ? 13 यात्रियोंके लिये पाने-जानेके मार्ग वाला यह गांव है। 14. मार्ग पर हो कर अनेक निकलेंगे, पाप किस-किससे लड़ाई करेंगे। 15 जो कोई भी। 16: निकलेगा। . . . 17 उससे। 18 तव जैसेने ताना मारा। 19 मालूम होता है कि आप मेरी सीमामें नगारा
वजवायेंगे ।