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मुंहता नैणसीरी ख्यात जसवंत वीरमदेप्रोत । संमत १६४० चैराई दीनी । वीरमरो टीकाई, पण जगूंत भलो रजपूत । संमत १६८६ राम कह्यो तद उतरी'।
६ पीथो जसूंतोतनूं चैराईमें हैंसो १ जतूंत भेळो । संमत १६७७ ब्रहांनपुरथा निबाब दिखण गयो तठे राहमें दिखणियांतूं मामलो हुवो, .. तठे काम प्रायो, बांण लागो ।
६ मनोहरदास जतूंतोत । संमत १६८३ चैराईमें हैंसो १ जसूंत भेळो । संमत १६६० रांम कह्यो ।
७ देईदास मनोहरदासोत । संमत १६६५ भाखरी, उदीवस पटै। .. ७ उरजन मनोहरदासोत । ६ भोपत जसूंतोत । ७ लिखमीदास । ७ वीको ।
६ सूजो जसूंतोत। सं० १६पर भींगांणो पटै। सं० १६८८ वैराई पटै थी
७ रामसिंध । ७ स्यामसिंघ । ६ भोजराज जतूंतोत । संमत १६७२ सबळसिंघ राजावतरै रह्यो । ७ मुकंददास । ५ सकतो वीरमदेप्रोत । संमत १६४१ पांचलो गांवां सूं पटै'। ६ माधोदास । . ७ संहसो। ६ मांडण । ६ दयाळदास । ७ मांनसिंघ। ६ मेघराज।
I सम्बत् १६४०में चैराई गांवका पट्टा दिया। जसवंत अच्छा राजपूत और वीरमका उत्तराधिकारी (टीकायत) । सम्वत् १६८६में मरा तब चैराई जन्त हुई । 2 पीथा जसवंतोतको चैराईका एक भाग जसवंतके साथ । सम्वत् १६७७में बुरहानपुरसे नवाव दक्षिणमें गया, वहां मार्गमें दक्षिणियोंसे लड़ाई हुई, उसमें पीथाके वाण लगा और वह मर गया। 3 सम्वत् १६८३में जसवंतके साथ एक हिस्सा चराई गांवका । संवत् १६६० में मरा । 4 सम्वत् १६६५ भाखरी और उदीवस गांव पट्ट में। 5 संवत् १६७० वींगाणा गांव और सम्वत् १६८८में वैराई गांव पट्ट में थे। 6 सम्वत १६७२ सवळसिंह राजावतके यहां रहा। 7 सम्वत् । १६४१में दो गांवोंके साथ पांचला गांव पट्टे में।