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मुंहता नैणसीरी ख्यात ___पछै रावजी पधारिया, ताहरां मूळराजरी मा कहाड़ियो'रावजीनूं हूं पुरसीस'। म्हारै हाथै जीमाड़ीस । वीजा ठाकर." मुंजाई आरोगँ ।' ताहरां राव सीहोजी माहै पधारिया। विछायत हुई । आप आरोगण वैठा । पुरसण विरियां विधवा अस्त्रियां वाळवय आण-प्रांण सरव वसतां मूकण लागी । ताहरां रावजी पूछियो मूळराजरी मानूं प्रो कहि विरतंत ? इतरी बहु विधवा, सु कासू ?' ताहरां मूळ राजरी मा कह्यो-'महाराज ! लाखै फूलांणीतूं म्हारै वैर छ । सु इयांरा घरधणी' ° लाखै मारिया । जाहरां म्हां अर लाख वेढ11 हुवै, ताहरां मांहरो साथ मिटे', अर लाखैरो साथ13 जीपै । वरस एकमें दोय वार देढ हुवै । सु रावजी पधारिया छो, आप म्हारी मदत करो।' ताहरां रावजी कह्यो-'हूं जाना जाऊंछू, पावता आवस्यां', ताहरां थे कहिस्यो' ज्युं करस्यां । हमारूं तो मैं तरवार छाडी छ । द्वारकाजी परसावतां लाखैनें मारूं तो सेतरांमरो जायो ।' ताहरां रावजी कह्यो-'साथ एकठो करज्यो, अर लाखेनूं कहाड़ज्यो'", जुम्हे अावां छां, तयार हुय रहिज्यो । पर्छ चावड़ांसू विदा हु करनै राव सीहोजी द्वारकाजीनूं चालिया छ, जाय द्वारकाजी ने रिणछोड़जीरा दरसण किया, गोमती सनान कियो, घणो धर्म कियो, मास १ द्वारकाजी राव श्री सीहोजी रह्यो ।
I रावजीको मैं परोसूंगी। 2 मेरे हायसे भोजन कराऊंगी। 3 दूसरे ठाकुर भोजन तैयार हुआ है वह भोजन करें। 4 स्वयं भोजन करनेको बैठे। 5 परोसनेके समय बाल अवस्था वाली विधवा स्त्रियां ला-ला कर भोजनकी सर्व वस्तुएँ रखने लगीं। 6 यह क्या वृत्तान्त है ? 7 इतनी बहुएँ विववाएँ ! यह क्या वात है ? 8 फूलके पुत्र लाखासे हमारे वैर है। (मारवाड़के पश्चिम प्रदेशकी भापामें अपत्य अर्य में 'आणी' प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे फलका पुत्र 'फूलांगी'। चत्ताका पुत्र और वंशज ‘चत्तांणी'।...... 9 इनके। 10 पतियोंको। II लड़ाई } 12 तव हमारा जन-समुदाय नष्ट हो जाता ...... है। 13 लाखाका दल विजय पाता है। 14 एक वर्पमें दो बार लड़ाई होती है। 15 लौटते हुए आवेगे। 16 कहोगे। 17 अभी तो मैंने तलवार रखना छोड़ दी है। 18 द्वारकानायके चरण स्पर्श कर के। 19 पुत्र । 20 कहला देना। 21 हम पाते हैं। 22/23 चावड़ोंसे विदा हो कर राव सीहोजीने द्वारकाजीको गमन किया। 24 और I.. 25 स्नान ।