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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३७ खाटी' । वरस २२ राज कियो। पछै काळ कियो । तरै सालवाहनरो बेटो वैजल एकरसूं पाट बैठो । वैजलमें लखण क्यूंही नहीं। मात्रईथा चूको । तरै वैजल भाटियां मारि परो काढियो ।
कवित्त भाटी सालवाहणरा "सहस बीस हण सुवग सद्द ढोलां सम चलत, तिण ऊपर भड़-अभंग' लीण मतवाळा लोडत । दस सहँस पायदळ' फरद पायक्क फरीधर, बीस खट्ट वाजंत्र रोळ खळ हण रिण पाखर । खट तीस वंस दरगह खड़ी दीपै जे दीवांण गहि, जादव नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहण लहि ।।१ दुअति दुअति ताय दीपत नमत अनमति' ताय नांमत 9, कहत कहत न न करत कर्म जाय करत सुन करत । रचे दुरंगव रूप आप पित नाम अचंचळ, बारंगना चंद करत जगत धिन संभ्रम जेसळ11 । सेहरो चंद सूरह समै राहै न सकै तूझ रहि, जादव नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहण लहि ॥२ संहँस एक श्रृंगार काम हांमा के करि अति, बिहु थांनै त्रिय रभह सुसुर वाजिन वाज जिति । अद्वेसर मद लहै कोड़ आखाड़ा कीजत, . लीला अंग सुलंक'' रंग त्यै रावळ रीझत । अनभाख साख अन अन अवर अमल मलै दाझै असह, जादवै नरंद जै जै जपत सकळ कमळ सालवाहणह ॥३ कंकण दांमण सघण काछ पंचाळ निरंतर,
I प्राप्त की। 2 मर गया। 3 तब शालिवाहनका बेटा वैजल एक वार पाट बैठ गया। 3 वैजलमें समझदारी कुछ भी नहीं। 4 किसी मातृ-समान पूज्यासे अनुचित सम्बन्ध हो गया। 5 तब भाटियोंने वैजलको ठोक-पीट कर निकाल दिया। 6 शब्द । 7 अजीत सुभट । 8 पैदल । 9 नहीं झुकने वालोंको, अनम्रोंको। 10 झुका दिया। II जेसलका पुत्र । 12 सुन्दर कटि वाली।