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मुंहता नैणसीरी ख्यात सूंक-भाड़ा लै आपरो काम करै' । उपजै सु सोह खाय जाय, थांनूं क्यूं . दै नहीं।" इण भांत कंवरांनूं भखावै छै । एक दिन मूळराज रतनसी दरबारै वैठा छै । दूदो जसहडोत कनै बैठो छ, तरै साकारी वात चली। तरै दूदै जसहडोत मूळराज रतनसीनूं कह्यो-"जेसळमेर इतरी वडी ठोड़, नै पीढ़ी ५ तथा ७ आपणो हुई, नै साको न हुवो । साका विगर नाम न रहै, सु एक साको कीजै ।" तरै मूळराज, रतनसी नै दूदै साकैरी निसचे करी, नै पातसाहसू विरोध वधावणरी करै । पिण वीकमसी करण न दै । वळे आसकरण वीकमसीरी घात कंवरां कनै घातो' सु कहै-"पागलै दिन वोखारी सेखां कनै रु० १३०००) वीकमसी लिया , ज्यांमें रु० ७००) रावळे दिया ।" औ वातां करै । सु इणारी वातांसूं मूळ राज रतनसी वीकमसीनूं मारणरो विचार कियो। दूहा-नभै दुरंग दूवा नरां, सोह' आलोचै सीर। ..
कंवरो सत्र13 वीकम कहै, हीया पलट्ट हीर ।।१ मळू मंकड़ दोयण मुख, कर लागौ कूटाळ । .. वीकमसी वीसूत्रसौं, रतनो पूंछ रंढाळ ॥२
वारता आसकरण नै मूळराज रतनसी वीकमसीनूं मारणरो विचार कियो सु आ वात रावळ जैतसीरी रांणी सुणी । तरै वीकमसीनूं एकंत तेड़ कह्यो-"तूं परो जा। कंवरांमें लखण क्यूं न छै ।" तरै वीकमसी कह्यो-"हूं कठी जाऊं? ?" पण रावळ सूंस दे वीकमसीनूं जांणो थपायौ18 |
I प्रधान वीकमसी रिश्वतें आदि लेकर अपना काम चलाता है। 2 जो उपज होती है सब वह खा जाता है, तुमको कुछ नहीं देता। 3 इस प्रकार कुंवरोंको बहकाते हैं। 4 और कोई साका (ख्यातिका काम या युद्ध) नहीं हुआ। 5 सो एक साका किया जाय । 6 लेकिन वीकमसी करने नहीं देता। 7 आसकरणने भी वीकमसीके विरुद्ध कुंवरोंके कान भरे। 8 सो यह कहता है कि अभी थोड़े दिन हुए बुखारी शेखोंसे रु. १३०००) वीकमसीने लिये। 9 जिनमें से रु. ७००) ही आपको दियें। 10 ऐसी बातें करते हैं। II निर्भय।. 12 सभी । 13 शत्रु। 14 शत्रु । I 5 जिद्दी, हठी। 16 तू यहांसे चला जा, कुंवरोंमें कुछ भी विवेक नहीं है। 17 मैं कहाँ जाऊं। 18 परंतु रावलने शपथ देकर वीकमसीको जानेका निश्चय करवाया।