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मुंहता नैणसीरी ख्यात रावळ लखणसेननूं आपरी वेटीरो नाळेर मेलियो छ । सुग्रागै लखरसेनरै बैर' सोढी ऊमरकोटरी हुती, सु निपट जोरावर हुती' । रावळ इणरो कह्यो लिगार लोप सके न छै । सु नाळेर अायो तरै गाढो सचीतो हुवो" ; पछै सोढीनूं पूछण लागो-"रावळ कानड़देरो बडी ठोड़रो नाळेर अायो छै सु पाछो फेरस्यां तो राईतनां मांहै बुरा दीसस्यां' । थे कहो तो नाळेर झालां । तरै सोढी कह्यो-“इतरी वात कबूल करो, आकरा देवाचा करो तो नाळेर झालण दूं।" तरै रावळ कह्यो-"किसी वात दिसा थे देवचो करावो छो' ।" तरै सोढी आ वात कही-“एक तो सांमेळे कंवर वीरमदे श्रावसी'", तरै थे कहिजो-“सांमेळो चहुवांणांरो भलो पण सोढां सारीखो नहीं । एक गढ माहै पधारो तरै कहिजो-“सहर ऊमरकोट सारीखो नहीं । एक सोनगरीसूं हथळेवो जोड़ो तरै कहिजो -"सोढी सारीखो सोनगरीरो हाथ नहीं।" पछै परण नै सीख दै तरै सोनगरीनूं वांस मेलनै इळगार कर आवजो" ।' सु इण भोकै ठाकुर सोह वात कबूल की । उठ गयो तरै सारी वात यूंहीज' कोवी । रावळ कानड़दे, वीरमदे, राजलोग सको दिलगीर हुवा । पछै रावळ लखणसेननूं सीख दी . कांनड़दे परी बेटीनूं वळाई । सुरमालण कितराहेक साथसूं साथै दियो छै । नै रावळ लखणसेन तो इळगार कर सोनगरी वांस छोड़..
___1 अपनी बेटीका सम्बन्ध करनेके लिये नारियल भेजा है। 2 पत्नी । 3 थी। 4 जो बड़ी जबरदस्त थी। 5 रावल इसके कहे हुएको किंचित् भी लोप नहीं सकता है। 6 जव नारियल पाया तो खूब चिंतित हुआ। 7 रावल कान्हड़देके जैसे बड़े राज्यका नारियल आया है सो इसको यदि वापिस लौटा देंगे तो अन्य राजाओंमें हम बुरे दिखेंगे। 8 तुम कहो तो नारियल स्वीकार कर लें। 9 तव । 10 इतनी बात कबूल करें और दृढ़ प्रतिज्ञा करें तो नारियल ग्रहण करनेकी आज्ञा दूं । वि०-देवाचा='दे' (क्रिया)+'वाचा' (संज्ञा) दोनों शब्दोंका (संज्ञाके रूपमें) समास है। 'देवचो' एक वचन समास रूप है। II कौनसी वातके लिए तुम प्रतिज्ञा करा रही हो । 12 एक तो यह कि सामेलेमें कुमार वीरमदेव आवेगा। 13 सम्मिलनोत्सव, स्वागत-समारोह । 14 परन्तु । I5 तव । 16 हस्त-मिलाप, पाणिग्रहण । 17 फिर विवाह करनेके बाद जब विदाई दे तव सोनगरीको घृणा और ... तिरस्कारके साथ पीछे छोड़ आना। 18 सब । 19 इसी प्रकार । 20 सब। 21 फिर रावल लखगसेनको विदाई दी। 22 कान्हड़देने अपनी पुत्रीको विदाई दी।