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________________ ६४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात वात रावळ भीम वरस १० टीको नीसरियो, तरै सारी मदार खेतसी ऊपर थी। पछै रावळ भीम मोटो हुवो, तरै खेतसीनूं धरती वारै काढियो । तरै एक वार तो भाटी घणा साथै काढिया था; पछै. फळोधी आया। पछै भीम जोर पतियो, पछै भाटी सारा उरा आया । पछै भाटी खेतसी, सीहड़, वीरमदे, रांणो, भैरवदास झै राजा रायसिंघजीरै चाकर रह्या । पछै महाराज रायसिंघजी सोरठनूं मेलिया था, उठ वरस ४ रह्या' । पछै खेतसी सोरठमें हीज मुंवो। १८ प्रागदास दयाळदासरो, १७ द्वारकादास। रा ॥ जगमाल साथै १६ सूरजमल । १६ भागकांम आयो' । चंद । १६ बलू । १८ विहारीदास दयाळ १८ गोयंददास । दासोत। १८ मोहणदास ईसरदासोत १६ आसकरण । १६ कुसळ- . जेसळमेर । सिंघ । १६ जसकरण । १८ नरहर ईसरदासोत । १८ बलू, बीकानेररी सांढ १८ जगनाथ ईसरदासोत । लीवी थी, तद राव १८ उदैभांण ईसरदासोत । वीकैजी मारियो । करमसोत मारियो । १७ ईसरदास खेतसीयोत । १८ रुघनाथ ईसरदासोत। संमत १६५५ जोधपुर । १८ मुकंद ईसरदासोत। वास । गुढो पटै । I रावल भीम जब १० वर्षका था राज्यतिलक हो गया, तव राज्यका सभी दारोमदार खेतसी पर था। परन्तु जब रावल भीम बड़ा हुआ, तब खेतसीको उसने देशनिकाला दे दिया। 2 उस समय (एक बार तो) कई भाटियोंको भी उसके साथ निकाल दिया था। 3 बादमें जब भीमका प्रताप बढ गया, तव सभी भाटी लौट आये। 4 लेकिन उनमेंसे भाटी खेतसीके साधके सीहड़, वीरमदे, राणा और भैरवदास ये महाराजा रायसिंहजीके यहां चाकर रह गये। 5 महाराजा रायसिंहजीने इन्हें सोरठमें भेज दिया, जहां वे ४ वर्ष रहे। 6 खेतसी सोरटमें ही मरा। 7 दयालदासका वेटा प्रयागदास राव जगमाल के साथ काम पाया। 8 वलूने बीकानेरकी एक सांड (ऊंटनी) ले ली थी इस पर राव बीकाजीने उसे मार दिया। 9 खेतसीका वेटा ईशरदास, सम्वत् १६५५में जोधपुर रहा और गुढा गांव जागीरमें पाया। 10 ईशरदासका बेटा मोहनदास जैसलमेरमें। II ईशरदासके बेटे उदयभान को करमसोताने मारा।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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