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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात रावळ भीम वरस १० टीको नीसरियो, तरै सारी मदार खेतसी ऊपर थी। पछै रावळ भीम मोटो हुवो, तरै खेतसीनूं धरती वारै काढियो । तरै एक वार तो भाटी घणा साथै काढिया था; पछै. फळोधी आया। पछै भीम जोर पतियो, पछै भाटी सारा उरा आया । पछै भाटी खेतसी, सीहड़, वीरमदे, रांणो, भैरवदास झै राजा रायसिंघजीरै चाकर रह्या । पछै महाराज रायसिंघजी सोरठनूं मेलिया था, उठ वरस ४ रह्या' । पछै खेतसी सोरठमें हीज मुंवो। १८ प्रागदास दयाळदासरो, १७ द्वारकादास।
रा ॥ जगमाल साथै १६ सूरजमल । १६ भागकांम आयो' ।
चंद । १६ बलू । १८ विहारीदास दयाळ
१८ गोयंददास । दासोत।
१८ मोहणदास ईसरदासोत १६ आसकरण । १६ कुसळ- . जेसळमेर ।
सिंघ । १६ जसकरण । १८ नरहर ईसरदासोत । १८ बलू, बीकानेररी सांढ १८ जगनाथ ईसरदासोत ।
लीवी थी, तद राव १८ उदैभांण ईसरदासोत । वीकैजी मारियो ।
करमसोत मारियो । १७ ईसरदास खेतसीयोत । १८ रुघनाथ ईसरदासोत।
संमत १६५५ जोधपुर । १८ मुकंद ईसरदासोत। वास । गुढो पटै ।
I रावल भीम जब १० वर्षका था राज्यतिलक हो गया, तव राज्यका सभी दारोमदार खेतसी पर था। परन्तु जब रावल भीम बड़ा हुआ, तब खेतसीको उसने देशनिकाला दे दिया। 2 उस समय (एक बार तो) कई भाटियोंको भी उसके साथ निकाल दिया था। 3 बादमें जब भीमका प्रताप बढ गया, तव सभी भाटी लौट आये। 4 लेकिन उनमेंसे भाटी खेतसीके साधके सीहड़, वीरमदे, राणा और भैरवदास ये महाराजा रायसिंहजीके यहां चाकर रह गये। 5 महाराजा रायसिंहजीने इन्हें सोरठमें भेज दिया, जहां वे ४ वर्ष रहे। 6 खेतसी सोरटमें ही मरा। 7 दयालदासका वेटा प्रयागदास राव जगमाल के साथ काम पाया। 8 वलूने बीकानेरकी एक सांड (ऊंटनी) ले ली थी इस पर राव बीकाजीने उसे मार दिया। 9 खेतसीका वेटा ईशरदास, सम्वत् १६५५में जोधपुर रहा और गुढा गांव जागीरमें पाया। 10 ईशरदासका बेटा मोहनदास जैसलमेरमें। II ईशरदासके बेटे उदयभान को करमसोताने मारा।