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मुंहता नैणसीरी ख्यात एकण घाव धरा वस प्रांणी', पड़गाहै दिल्ली पतसाह । पूरब-पोह' गमियो पर-दीपै", रतनावत घड़सी रिम-राह ॥२ वेढक जेसळमेर वाळियो', कव सीगळ वोले जस कंठ । वड रावळ सरगापुर वसियो', विमळादे सहितो वैकुंठ' ° ॥३
वात
वमा
रावळ केहर देवराजरो। देवराज मूळराजरो। रावळ घड़सी पर्छ टीकै वैठो। वडो ठाकुर हुवो। वरस ३४ मास १० दिन ६ राज कियो । पछै मीच मुंवो' । तिण केहररा बेटा
१ रावळ लखमण केहररो। जेसळमेर टीक बैठो । लीलादे महेवचीरै पेटरो।
१ सोम केहररो। तिणरा अहिजनि, पोकरणरै मढले प्रथम रावळ रूपसीयोतरा छै। नाथारा बेटा रामदास, लालो, हरी, खेतो वीकानेररै देस गांव नाथूसर वसै छै । रूपसीरा पोतरा-गांगो, करन, रांमदास ।
. .१ रावळ केल्हण, रावळ केहररो वडो बेटो टीकाइत हुतो, लाछां देवड़ीरै पेटरो' । रावळ केहरनूं विगर पूछियां महेवचांसूं सगाई की,
1,2 दिल्लीके वादशाहका मान-मर्दन करके एक ही आक्रमणसे धरा पर अधिकार कर लिया। 3 पूर्वके बादशाहको। 4 भगा दिया, गर्व खंडन कर दिया। 5 दूसरे द्वीपमें। 6 शत्रुओंका नाश करने वाला । 7 इस वीरने अपने जैसलमेर राज्यको पुनः प्राप्त किया। 8 कवि सिंहल। 9,10 विमलादेके साथ बड़ा रावल घड़सीने स्वर्गमें जाकर निवास किया। II अपनी मृत्युसे मरा। 12 रावल लखमण केहरका बेटा, लीलादे महेवचीकी कोखसे उत्पन्न, जैसलमेरकी गद्दी पर बैठा। 13 रूपमीके पोते गांगा, करण और रामदास । 14 लाछां देवड़ीकी कोखसे उत्पन्न रावल केहरका वड़ा बेटा रावल केल्हरण राज्याधिकारी था।