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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १५६ 1 चाकरी न करे । तरै केलावौ १ वसीनूं दियो' । पछै राव सत्रसालरै वसियो यो । पछे काबलनूं जातां रा || किसोरदास गोपळदासोतरै चाकर मारियो । ७ किसनसिंघ रामचंदोत । ८ भारमल । ७ भगवानदास रामचंदोत | जूढ पटै 1 ७ विसनसिंघ रामचंदोत | 3 ७ करन रामचंद्रोत । श्रीजीर वास । विमळोखो पटै । ७ सो रामचंदोत | ६ अजळदास सुरतांणोत । संमत १६७० विकूंकोहर -सुरतांणजीरा पटारो गांवां १७सूं दियो । पछै सं० १६७८ राव रतनरै वास वसियो । सं० १६८० वळै पाछो प्रांण विकंकोहररो पटो दे राखियो । सं० १६६० फळोधीरै थांणै राखियो थो । बलोचे गायां लीवी, तठे वाहर आपड़ कांम आयो । ७ महेसदास श्रचळदासोत । सं० १६९० विकूंकोहर गांवां १५सूं दियो । सं० १७१४ उजेण कांम आयो । ८किसोरदास महेसदासोत । विकूंकोहर, मतोड़ो पटै । ७ जगतसिंघ अचळदासोत | थबूकड़ो पटै । ७ केसरीसिंघ चळदासोत । संमत १६९० डाभड़ी प्रोईसांरी पटै । सुंदरदासरे वैर सोढां मारियो' । ७ सुंदरदास सुरतांणोत । जोधपुर मेवरो पटै । पछे लवेरारी सांडां सोदै ली, तठे वाहर प्रापड़ सोढांसूं वेढ हुई, कांम आयो । 1 तब कैलावा बसी में कर दिया । 2 जूढ गांव पट्टे में 1 3 श्रीमहाराजाजीकी सेवा में और विमलोखा गांव पट्टों में । 4 सम्वत् १६७० में सुरतारणजी के पट्टेका विकूंकोहर १७ गांवोंके साथ दे दिया 1 5 बलोच लोग गायें घेर कर ले गये, वहां उनका पीछा करके काम आ गया । 6 विको और मतोड़ा गांव पट्ट े में | 7 सम्वत् १६६० में ईसांका डाभड़ी गांव पट्टे में 'सुंदरदासकी शत्रुता में सोढोंने इसे मारा | 8 जोधपुरका मेवरा गांव पट्टे में । जव लवेरेको सांढ़ें (सांडुनियाँ ऊंटनियाँ) सोढोंने घेर लीं, तब बाहर करके सोढोंको पकड़ा और उनसे लड़ाई हुई, सुंदरदास उस लड़ाई में काम आ गया । 1
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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