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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १०६ १ रावळ मालदे। . ६ जसवंतसिंघ २ खेतसी ।
७ जगतसिंघ कंवरपदै मुंवो। ३ दयाळदास ।
बुधसिंघ राज कियो । . ४ सबळसिंह जेसळमेर
८ अखैसिंघ। घेरियो ।
६ मूळराज, जेसळमेर पाट । ५ अमरसिंघ । ___ रावळ जसवंतसिंघ अमरसिंघोत । कंवर जगतसिंघ जसवंतसिंघोत कंवरपदै थकांहीज आपरै हाथ कटारी पेट मार मुंवो ।
रावळ बुधसिंघ जगतसिंघरो पाट बैठो । पछै बुधसिंघनै कहै. छै सीतळा नोसरी थी, तिणमें विस हुवो । तठा पछै रावळ तेजसिंघ जसवंतसिंघरो पाट बैठो। तिण ऊपर भाटी हरीसिंघ अमरसिंघोत सिंधसूं आयनै रावळ अखैराजरै कहै तेजसिंघनूं चूक कर मारियो । रावळ अखैसिंघ उण वगत नीसर गयो' । नै तेजसिंघ घडी ४ जीवतै थकै आपरै बेटै सवाईसिंघनूं टीकै बैसांणियो । ताहराँ अखैराज फोज करनै आयो । उमराव, कामदार, अखैसिंघसूं राजी था, नै हिसाबमें अखैसिंघनै ठोड़ आवै11 । जो ओ12 जगतसिंघरो बेटो नै बुधसिंघरो छोटो भाई, तिणसूं जेसळमेर अखैसिंघ पायो । वडो परतापीक रावळ हवो14 । वरस ४० राज कियो।।
रावळ अखैसिंघ जगतसिंघोतरा इतरा बेटा नै बेटी हुई15I सवलसिंहने जैसलमेरका घेरा डाला। 2 जगतसिंह कुमारपदमें मर गया तव उसके बेटे बुधसिंहने राज्य किया । 3 मूलराज जैसलमेरकी गद्दी पर। 4 जसवंतसिंहका बेटा कुवर जगतसिंह अपने कुमारपंदर्भ ही अपने ही हाथसे पेटमें कटारी मार कर मर गया। 5 कहा जाता है कि बुधसिंहको शीतला निकल गई थी और उसी बीमारीमें उसको (उसकी दादी द्वारा) विष दे दिया गया। 6 जिस पर भाटी हरिसिंहजी अमरसिंहोतने सिंधसे पाकर, रावल अखैराजके कहनेसे तेजसिंहको धोखेसे मार दिया । 7 रावल अखैसिंह उस समय निकल कर भाग गया था । 8 लेकिन तेजसिंहने अपनी मृत्युसे चार घड़ी पूर्व अपने जीते जी अपने बेटे सवाईसिंहको गद्दी पर बैठा दिया। 9 तब अखैराज सेना लेकर आया । 10 उमराव और कामदार आदि अखैसिंहसे प्रसन्न थे। I और हिसाबमें भी यह पदाधिकार अहँसिंहको ही प्राप्त होना चाहिये। 12 यह। 13 इसलिये जैसलमेर अहँसिंहको मिला। ___14 बड़ा प्रतापी रावल हुआ। 15 रावल अहँसिंह जगतसिंहोतके इतने वेटे और इतनी बेटियां हुई।