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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ६६ किनारै गांव बधाउड़ो छै, तटै माणसांन राखनै आप पातसाहरी अोळग गयो । उठे वरस १२ चाकरी कीवी । आदमी १० तथा १२ - भाटी नै आदमी २ चारण कनै था, सु उठै बोहत परेसान हुवा । - भूख गाढा दबाया। एक वात युं पण सुणी छै । जु घड़सी आप चतुर थो, सु उठे ... किणांहेकां सिरदारां-उमरावांरा वागा डेरै बैठो सीवतो । वागै एक .. रुपियो एक मसकतरो लेतो' । यूं कर आपरै डेरारो खरच कर आयो ... काढतो, पण पातसाहरी चाकरी करतो' । तिसडै पूरबरो पातसाह समसदी, तिको दिल्लीरा पातसाह ऊपर आयो । कोस २० रो दोनूं फौजार वीच रह्यो, तरै पूरबरै पातसाह कबांण १ दिल्लीरै पातसाहनूं मेली'',-"जुथांहरा कटक मांहै कोई इसड़ो छै, जिको श्रा कबांण चाढै ।" तरै पातसाहरो बीड़ो सगळे ही कटक मांहै फिरियो4, "जिकोई प्रा कबांण चाढे तिकैनूं म्हे बहोत निवाजस करो।" सु लसकररा सिपाइयां सगळां कबांण दीठी16; पिण किणहीथा कंबांण चढावणरी प्रासंग पड़े नहीं' । सकोई कबांणसूं खस-खस परा गया18 । तरै रावळ घड़सीरै चाकर १ भाटी खूणग ऊदळरो बेटो, जैचंदरो पोतरो, तिण घड़सीनूं कह्यो-'थे कहो तो I अपने मनुष्योंको वहां पर रख कर स्वयं बादशाहकी सेवामें गया। 2 १२ वर्ष तक वहां रह कर चाकरी की। 3 १०-१२ भाटी राजपूत और २ चारण उसके पास थे। 4 भूखने (गरीवीने) बहुत कष्ट पहुंचाया। 5 एक बात यों भी सुनी जाती है। 6 वह वहां . पर कईएक सरदारों-उमरावोंके डेरोंमें बैठ कर बागे सिया करता था। 7 प्रति बागा एक रुपया मजदूरीका लेता था। 8 ऐसा करके अपने डेरेका खर्च चलाता था। 9 फिर भी बादशाही चाकरी तो करता रहा। 10 इस बीच पूर्वका बादशाह समसुद्दीन दिल्लीके बादशाह पर चढ कर आ गया। II दोनोंकी सेनाओंमें २० कोस का अंतर रहा । 12 तव पूर्व के बादशाहने दिल्लीके वादशाहके पास एक कमान (धनुष) भेजी। 13 तुम्हारी सेनामें कोई ऐसा वीर है जो इस कमानको चढ़ा दे। 14 तब बादशाहका बीड़ा इस घोषणाके . . साथ सारी सेनामें फिरा। 15 जो कोई इस कमानको चढा दे उस पर हम बड़ी कृपा करेंगे। 16 सेनाके सभी सिपाहियोंने कमानको देखा। 17 परंतु किसीकी भी कमान चढानेकी हिम्मत नहीं होती। 18 सभी कोई उससे पत्र-पच कर चले गये। 19 घड़सीका एक सेवक जिसका नाम भाटी लूणग, जो ऊदलका बेटा और जयचंदका पोता था, उसने 'घडसीसे कहा।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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