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________________ मुंहता नैणसोरी ख्यात [ १५३ रांणी लिखमी मूळ जाई, तरै हरभमरै नांनांण मेली' । नै जेसोजी . भाउंडै नागोररै गांव गया । उठे कोट करायन माणस राखनै राणा कनै चीतोड़ गया । उठे गांव १४० तांणो मला सोळंकीवाळो दियो । तठे रामदास माल्हणरो बाप मारियो । राणा कुंभा थकां प्रायां पछै ओ पटो वेहतो थो । दीवांणनूं कह्यो – 'कहो तो एक वार दरगाह जावां; जेसळमेरनूं धको दां' ।' पछै सीख दीवी । मास २ दिल्ली रह्या । उठे मुंवा' । पछै राणै पटो भैरवदास जेसावतनूं रावाई देने गांव १४० तांणो दियो1° | वसी नागोररै गांव भाउंडां हीज हुती'। भैरवदासरी वसीरा बलोचे वित लिया। भैरवदास आदमी ४०सूं आपड़ काम आयो । तरै राणै पटो अचळदास भैरवदासोतनूं तांणरो दियो। नै वसी भाउंडै रहि न सके । तर रांणी लिखमी राव सूजासौं अरज करनै गांव चोपड़ां वसीयूँ दिरायो । वसी अचळारी चोपड़े रही । आप मेवाड़ रह्या। जेसारा बेटा. २ अणंद राव सूजारै वास । भैरवदास जेसावत सूर-माल्हण मारियो, तरै अणंद सूरनूं गोढवाड़री अहिलांणी मारियो । २ जोधो। २ भैरवदास। २ वणवीर । I तब उसे हरभमकी ननिहाल भेज दिया। 2 और जैसाजी नागोर परगनेके भाउंडे गांवको चले गये। 3 वहां कोट बनवा कर और उसमें आदमी रख कर राणाके पास (सेवामें) चित्तोड़ चला गया। 4 वहां (राणाने) उसे १४० गांवोंके साथ मल्ला सोलंकी वाला ताणा गांव पट्टे में दिया। 5 वहां माल्हणके बाप रामदासको मार दिया। 6 यहां आनेके बाद राणा कुंभाके काल तक इनका पट्टा चालू (कायम) था। 7 इसने दीवान (राणाजी)को कहा कि यदि आप आज्ञा दें तो एक बार वाहशाहकी सेवामें जाऊँ और जैसल- मेरको धक्का लगाऊँ। 8 पीछे आज्ञा दे दी। 9 वहीं मर गया। 10 जिसके बाद - राणाने जैसाके वेटे भैरवदासको रावकी पदवी देकर १४० गांवोंके साथ ताणाका पट्टा दिया । .... II बसी नागोर परगनेके भाउंडा गांवमें ही थी। 12 बलोच लोगोंने भैरवदासकी बसीका ..... वित्त (गाय-भैंस यादि चौपायोंका समूह) ले लिया। 13 भैरवदासने अपने ४० आदमियोंके साथ पीछे.भाग कर उनको पकड़ लिया और लड़ाई की जिसमें वह काम पा गया। 14 और __ बसी भाउंडे में रह नहीं सके। 15 तब रानी लक्ष्मीने राव सूजासे अर्ज करके वसीके लिये .चोपड़ा गांव दिलवाया। 16 तब आनंदने सूरको गोढवाड़के अहिलाणी गावमें मार दिया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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