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मुंहता नैणसीरी ख्यात जांणियो किसनसिंघ पाली छै । न किसनसिंघजीरै सांहणी लालो वास ... थो । सु लालैरै वैर रा।। भाखरसी सादूळोतसूं थो, तिण ऊपर वालीसांरी धरतीमें रहतो । तठे गांव जाय झूबियो ; तठे वेढ हुई । सु भाटी देईदोसनै सांहणी लालो मेहावत काम आया। नै उरजन, ऊहड़, .. नै भीवो साहणी किसनसिंघजीनूं ले नीसरिया ।
७ करन देईदासोत । संमत १६७२ हीरादेसर, रामावट पटै, लिखमीदास भेळो ।
७ लिखमीदास देईदासोत । संमत १६७२ हीरादेसर, रामावट पटै, करन भेळो। पछै संमत १६८३ तांबड़ियो पटै' । पछै छाड्नै.. भींव कल्याणदासोतरै वसियो ।
८ नाथो लिखमीदासोत । संमत १६६० नादियो पटै । संमत १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो। पछै संमत १६६६ वळे वसियो । काठसी पटै'।
६ विहारीदास नाथावत । ८ भोपत लिखमीदासोत । ८ अखैराज लिखमीदासोत ।
७ दयाळदास देईदासोत । संमत १६८० वरजांगसर फळोधीरो पटै10 ।
८ सहसो दयाळदासोत ।
५ सूरजमल किसनावत । मोटै राजाजीरै लोहावटरी वेढ काम आयो ।
I सुरताणने जाना था कि किशनसिंह पाली में है। 2 और किशनसिंहके यहां साहनी लाला रहता था । 3 लालाकी राव भाखरसी सादुलोतसे शत्रुता थी, इसलिये वह इसकी ताकमें बालीसोंकी भूमि में रहता था। 4 उसने उसके गावमें जाकर उत्पात मचाया और वहां लड़ाई हुई। 5 भाटी देवीदास और साहनी लाला मेहावत इस लड़ाईमें काम आये। और .... अर्जुन, कहड़ और भीमा साहणी किशनसिंहको लेकर निकल गये। 6 सम्वत् १६७२में हीरादेसर और रामावट. दोनों गांव लिखमीदासके शामिल पट्टमें। 7 सम्वत् १६७२में हीरादेसर और रामावट करणके साथ पट्ट में । लिखमीदासको सम्बत् १६८३में तांवड़िया गांव अलग पट्टे में मिला । 8 फिर छोड़ कर भीम कल्याणदासोतके यहां जाकर रह गया। 9 सम्वत् . १६९६में पुन: प्राकर बसा तव काठसी गांव पट्ट में मिला। 10 सम्वत् १६८०में फलोधीका वरजांगसर गांव पट्टे में | II मोटे राजाजीके लिये लोहावटकी लड़ाई में काम पाया ।