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मुंहता नैणसीरी ख्यात आसथांनजी माणस पांचसौ सू आण वतळायौ' , नै लड़ाई हुई । कान्हैनूं मारियो । वितरो वांसो कियौ । मेर ज्युं ज्युं लाधा , त्युं । मारिया। वित सरब पड़ायो । पाली चौरासी गांवांसू लीवी । पास भाद्राजण पिण चोरासी गांवांसू लीवी । अोरूं पसवाई' खेड़ गोहिल राज करै सु गोहिलारै परधान' ° डाभी11; सु रीसांणा हुवा । गोहिलांरो वडो धोम राज, अर डाभी पण डीलां घणां' सिरीखा परधान, सु रीसांणा थका छाड गया। जाहरां आसथांनजीरो राज भारी पड़ियो' । तद डाभियां जांणियो, गोहिल मरावां । तद डाभी आसथांनजी कनै गया। सारी ही हकीकत कही वात कीवी। ताहरां आसथांनजी कह्यौ-'कुंकर लेस्यां ।' तद डाभियां कह्यो-'म्हे थांनै समचो करस्यां । ताहरां थे चूक करिया ।'
इतरै गोहिला पिण अालोच कियो-'जो राठोड़ जोरावर । सिरांण आय राजस्थान मांडियो । जो कू ललो-पतो कीजै तो टिग सगीजे25 ।' ताहरां सारा ही आलोच कर परधान मेलियो । सु परधाननै कह्यो-'थे जाय वात कर आवो; अर मनुहार करज्यो, जो .. " उठ खेड पधारो। देस देखो । थे राम-रांम कर आवो। अर जे ... पधारे तो भगत रो कह्या", अर म्हांनू खबर मेलिया । ज्यु
1 आकर ललकारा। 2 पीछा किया । 3 मिले। 4 धन सब पीछा लेलिया । 5 चौरासी गांवोंके साथ पाली लेनेके अनंतर समीपवर्ती भाद्राजरण और उसके ८४ गांव भी ले लिये। 6 अन्य भी। 7 पार्श्ववर्ती। 8 खेड़, एक प्राचीन नगरका नाम । 9 गोहिल , . जातिके राजपूत खेड़के स्वामी थे। 10 प्रधान (मुख्य मंत्री)। II डाभी, राजपूतोंकी। जाति । 12 अप्रसन्न होगये। 13 गोहिलोंका वैभव वाला राज्य था। 14 और डाभी.... संख्यामें अविक (डोल = शरीर)। IS समान कक्षाके । 16 नाराज हो करके छोड़ कर चले गये। 17 प्रबल होगया। 18 सव वृत्तान्त कहा । 19 कैसे लेवेंगे ? 20 संकेत कर ... देंगे। 21 तव तुम घोखेसे मार डालना। 22 इस अवसर पर गोहिलोंने भी विचार किया। . 23 क्योंकि राठौड़ वलवान हैं। 24 मस्तकके उपर ही आकर राजधानी कायम करली है । 25 यदि कुछ खुशामद की जाय तो टिके रह सकते हैं । 26 राजस्थानमें, प्रणाम, सलाम
आदिके स्थान में भटके समय 'राम-राम' कहनेका भी रिवाज है। 27 यदि प्रायें तो मिहमानीका कहना। 28 और हमको खवर भेजना.। . .