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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५ मार सके नहीं । सु एक दिन देवराज मांचै बैठो थो, सु हुरड़ मिनकीरो' रूप कर मांचा हेठासू नीसरी । देवराज अटकळी । तरै बरछी पड़ी थी सु ले नै मिनकीरै दीनी, सु अटै मिनकी मुंई, नै उठे हुरड़ मुंई । तठा पछै साथ करि देवराज वरिहाहां ऊपर गयो सु
आदमी ६००सूं वरिहाहांनूं मारियो । वरिहाहारो गांव लूटियो । सासू रवायरा लूगड़ा खोसांणा' । सु देवराज देखतां खोसांणा । सु देवराज खोसणवाळांनूं पालिया नहीं, नै सासू देवराजनूं मांटी छांनो राखियो थो,' घणा हीड़ा रवाय किया था । सु रवाय उण वखत दूहो कह्यो
"विरस भलो वरिहांह; मित न भल्लो भाटियो। जे गुण किया रवाह, ते सब कालर झल्लिया ॥" १
वात
- .... वरिहाहारो खांनो खणियो। घणो माल, वित, घणा घोड़ा, ऊंठ
सारो सामांन हाथ आयो । धरती सारी आपरो अमल कियो। विकं. पुर देरावर विच आ धरती चित्रांगलस प्रा अजेस'1 'वरिहाहो' .. कहीजै । सु आ धरती सारी हाथ आई। कितरीहेक माडरी धरती
देवराजरै रावळे उघरै छै"। तिण समै देवराज रतननूं चीतारियो ।
रतनरै बाप लांपर्ने सीहथळीती तेडायो14 । बात पूछी-"थांहरो बेटो .. रतन कठै ? जिको थे मो भेळो बैसाण जोमायो थो।" तरै लांप
कह्यो-"उणनूं तो तदहीज उणरै भायां पांत बाहिर काढ़ियो, सु जोगी
___I विल्ली। 2 निकली। 3 जान लिया। 4 मर गई। 5 सास रवायके वस्त्र खोसे गये। 6 देवराजने खोसने वालोंको रोका नहीं। 7 और सासने देवराजको अपने पतिसे छिपा कर रखा । 8 रवायने उसकी बहुत सेवा की थी। 9 वरिहाहा-क्षत्री शत्रु भी अच्छा, किन्तु
भाटी क्षत्री मित्र भी अच्छा नहीं। रवायने जो उपकार (देवराजके साथ) किये, वे सब . कल्लर भूमिमें वर्षा के समान हुए (निरर्थक हुए)। 10 वरिहाहोंका खोज उठा दिया । .II अभी तक। 12 कितनी . माड प्रदेशकी धरतीका राजस्व देवराज प्राप्त करता है। • I3 याद किया। 14 रत्नके वाप लांघको (सिंह-स्थली) सीहथलीसे बुलवाया। IS जिसको . तुमने मेरे शामिल बैठा कर भोजन करवाया था।