Book Title: Tiloy Pannati Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथा
OC
१९५
१२२
[४] विषय गाथा
विषय कूटोंके चारों ओर स्थित भवनवासी
असुरादिकोंमें क्षेत्र-कालादिकी अपेक्षा देवोंके प्रासादोंका निरूपण
___ अवधिज्ञान प्रत्येक इन्द्र के परिवारदेव-देवियोंका
भवनवासियोंमें गुणस्थानादिकोका निरूपण
निरूपण भवनवासी देवाका आहार और उसका भवन में एक समयमें उत्पन्न होनेवाले कालप्रमाण
११० व मरनेवाले जीवोंका प्रमाण भवनवासियोंमें उच्छ्वासका निरूपण ११४ भवनवासियोमसे निकलकर पर्यायाआयुकी अपेक्षा आहार व उच्छ्
__न्तरमें आगमन वासके कालका प्रमाण
भवनवासी देवोंकी आयुके बंधयोग्य प्रतीन्द्रादिकोंके उन्छ्वासका निरूपण ११८ परिणाम
१९८ असुग्कुमारादिकोंके वर्णका निरूपण ११९ भवन वासियोंम उत्पत्तिसमारोह
२०७ असुरादिकोंका गमन
भवनवासियोंमें उत्पन्न होने पर कुछ भवनवासी देव-देवियों के शरीरस्वभावा
विचारके पश्चात् जिनपूजादिकार्य २१३ दिका निरूपण १२५ भवनवासियोंका सुखानुभव।
२३१ असुरादिकोंमें प्रवीचार
१३० भवनवासियोंमें सम्यक्त्वकी सामग्री २३९ इन्द्र-प्रतीन्द्रादिकोंकी छत्रादि विभूति १३२ भवनवासियोंमें उत्पन्न होने के कारण २४१ इन्द्र प्रतीन्द्रादिकोंके चिह १३४ अधिकारान्त मंगल
२४३ ओलगशालाके आगे स्थित असुरादि___ कुलोंके चिह्नस्वरूप वृक्षोंका निर्देश १३५
महाधिकार ४ १-२९६१ चैत्यवृक्षों के मूलमें जिनप्रतिमायें व
मंगलपूर्वक मानुषलोकप्रज्ञप्तिके कह___ उनके आगे मानस्तम्भोंकी स्थिति १३७ नेकी प्रतिज्ञा चमरेन्द्रादिकोंमें परस्पर ईर्षाभाव १४० मनुष्यलोकके वर्णनमें सोलह अधिकाभवनवासियों की संख्या
१४३ रोंका निर्देश भवनवासियोंकी आयु
१४४
मनुष्यलोकका विस्तार आयुकी अपेक्षा भवनवासियोंका सामर्थ्य १६२ मनुष्यलोकका बाहल्य और परिधि आयुकी अपेक्षा भवनवासियोंमें विक्रिया १६६ मनुष्यलोकका क्षेत्रफल
, , गमनागमनशक्ति १६८ मण्डलाकार क्षेत्रकी परिधि और क्षेत्रभवन वासिंदवियोंकी आयु
फल निकालनेका विधान असुरादिकोंमें निकृष्ट देवोंकी जघन्य आयु १७५ मनुष्यलोकका घनफल असुरादिकोंके शरीरकी उंचाई १७६ । जम्बूद्वीपका विस्तार
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