________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गलाशीष (सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के परम अनुरागी) डॉ. सुदर्शनलाल जैन बहुत ही सुलझे हुए सुसंस्कृत विद्वान् हैं। साथ ही साथ उनमें एक अच्छे सुश्रावक के समस्त लक्षण विद्यमान हैं। वे सच्चे देव शास्त्र गुरु के परम अनुरागी हैं। आपने जिनशासन की महती सेवा की है। ऐसे विद्वान् के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का प्रकाशन हो रहा है। निश्चयतः यह प्रशंसनीय है। उनका सही मूल्याङ्कन होना चाहिए। उनके द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों की मैं प्रशंसा करता हूँ। उनकी कई कृतियाँ हैं जिनमें से उनकी देव शास्त्र और गुरु की रचना निश्चय से प्रशंसनीय है, उससे हमारी समाज का तद्विषयक मिथ्यात्व दूर हुआ है। सबने उसे स्वीकार किया है। डॉ. सुदर्शन लाल जैन जीवन की अंतिम सांस तक जिनवाणी माँ की सेवा करते रहें तथा श्रुताराधना करते हुए उसका फल भी प्राप्त करें। अन्त में समाधिमरण पूर्वक शरीर का विसर्जन करें। इस मङ्गल भावना के साथ मैं उन्हें आशीर्वाद देता हूँ। प. पू. मुनिश्री108 प्रमाणसागर जी महाराज मङ्गल आशीर्वाद ___ 'गुदड़ी का लाल' यदि प्रो. सुदर्शन लाल जैन को कहूँ तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। मातृछाया बचपन में ही छिन जाने तथा अर्थापकर्ष होने पर भी आप कहाँ से कहाँ पहुँच गए। श्रुत की आराधना में आपने अपना जीवन लगा दिया है। एक अच्छे विद्वान् होने के साथ आप विनम्र, सरल एवं मधुर स्वभावी हैं। आपके द्वारा लिखित ग्रन्थ और आलेख प्रामाणिक एवं ख्याति प्राप्त हैं। अनेक शोधछात्रों को डॉक्टरेट की उपाधि दिलवाई है। प्रशासन कुशलता का गुण भी आपमें है। हमारा प्रथम परिचय कटनी की संगोष्ठी में हुआ था। सूरत भी संगोष्ठी में पधारे थे। आप जिनवाणी का प्रचारप्रसार करते हुए रत्नत्रय को धारण करें। मोक्ष पथिक बने। यही हमारा आशीष है। प. पू. मुनिश्री 108 समता सागर जी महाराज