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Tradition of their origin is singular it is said that they were Beldars and excavated the sacred lake of Poshkur or Pokur, for which act they obtained the favour of the deity and the grade of Brahmins, with the title of Pokurna. Their chief object of em. blematic worship, the Khodala, a kind of pick-axe used in digging, seems to favour this tradition". [ Tod Vol. II. J. R Chap. VII. ]
"इन की उत्पत्ति की एक अजब कहानी है। कहा जाता है कि ये बेलदार थे, और पुष्कर वा पोकर की पवित्र झील को खोदी जिस कार्य के लिये देवता की कृपा, और पोकरणा की उपाधि के साथ ब्राह्मणों का पद प्राप्त किया । इन के पूजने की मुख्य वस्तु खुदाला है जो कि खोदने का एक औजार है, इस से इस कहानी की अनुकूलता ज्ञात होती है। " (टाड राजस्थान, भाग २, जैसलमेर, अध्याय ७ )
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प्रथम तो स्वयं टाड साहब को भी इस कहानी पर कुछ भी विश्वास नहीं हुआ था, तभी तो इसे ' अजब कहानी ' करके लिखी है । क्यों कि जो बात असम्भव, नामुमकिन नहीं होने योग्य हो, उसी को अजब कहानी कहते हैं ।
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इस के अतिरिक्त इनके पूजने की मुख्य वस्तु खुदाळा लिखा यह भी सर्वथा मिथ्या है । पुष्करणों के यहां खुदाला तो क्या इस प्रकार का अन्य भी कोई औज़ार किसी काल में भी और कहीं भी नहीं पूजा गया है ।
इसी टाड राजस्थान को देख के विना परिश्रम किये हो सीधी खिचड़ी खाने वाले, और भी कइयोंने धोखा खा लिया है । जैसे- मिस्टर जॉन विल्सनने अपनी तवारीख़ में और अविसन साहिबने रिपोर्ट मर्तुम शुमारी पञ्जाब में भी यही बात टाड राजस्थान से ही लेके लिख दी है ।
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