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है जिसके प्रतामसे भूत भविष्य और वर्तमानका चमत्कार कई राजा महाराजाओं को दिखलाया है । और कईयों ने तो देवताओं को भी चकित किये थे (जैसे:- चोटिया जोशी परवरजीने शुक्र और बृहस्पतिजी को तथा लुद्र ( कल्ला ) ब्रह्मदत्तजीने शुक्रजीको इत्यादि)
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जैसलमेर के भाटी महाराजाओं के वंश परम्परा के पुरोहित राघोजी बडे विद्वान थे उनके पुत्र चण्डजी तो साक्षात भास्कर का अवतार ही हुये । वे जोधपुर के राव माळदेजी जो जैसलमेर परणे थे उनके साथ जोधपुर आ गये । फिर उनोंने अपने नाम का 'चण्डू पञ्चाङ्ग' सं० १५८८ में निकाला था सो आजतक उनके वंशवाले प्रतिवर्ष बराबर बनाते आये हैं । इस भारत देश में जितने पञ्चाङ्ग प्रकाशित होते हैं उनमें प्राचीन व प्रतिष्ठा प्राप्त यही एक चण्डु पञ्चाङ्ग ही गिना जाता है । चण्डुजीने ज्योतिष के कई अद्भुत ग्रन्थ बनाये थे जो उनके वंश वालों के पास विद्यमान हैं । चण्डजी के वंशवाले भी बड़े २ विद्वान हुये हैं और ज्योतिष विद्या के प्रभाव से जोधपुर के महाराजाओं से कईयों ने प्रतिष्ठा प्राप्त की है ।
जैसलमेर में व्यास अचलदास जी भी बड़े विद्वान ज्योतिषी हुये थे । उन की फलित विद्या इतनी प्रबलथी कि उस समय में उनकी बराबरी करनेवाला इस प्रान्तभर में सायतही कोई हुआ होगा । बीकानेर में भी किराडू किस्तूरचन्दजी आदि नामी विद्वान हुये थे जिन से इन्दोर मान्त के कई दक्षिणी ब्राह्मणों ने विद्याध्ययन की थीं ।
मरहट्टों के राज्य सासनकाल में एक कल्ला जातिके पुष्करणे ब्राह्मणने मरहट्टो के सेनापति को युद्ध के समय ज्योतिष का च
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